शब्दों की ताकत The Power of Words in Hindi

शब्दों की ताकत The Power of Words in Hindi

दोस्तों, Merajazbaa.com पर आज की  पोस्ट के  माध्यम से हम अपने ‘शब्दों की ताकत’ को पहचाननें की कोशिश करेगें. रिश्तों को बनाना आसान होता हैं लेकिन उनको निभाना बहुत मुश्किल होता हैं इतना मुश्किल कि हम उन्हें बड़े ही आसानी से खत्म करने के निर्णय तक ले आतें हैं. इसकी वजह को जानेगें तो आपको पता चलेगा कि ‘जो रिश्तें ईश्वर ने इंसान के रूप में आपको समझने, सुलझने और सहजनें के लिए दिये, वो आपने अपने केवल शब्दों की वजह से तोड़ दिये.

 

जरा सोचिये, आपके टूटे रिश्तों की वजह में से उन शब्दों को निकाल दें तो आपको वहीं रिश्ते मिलेगें, वहीं इंसान मिलेगें जो आपको ईश्वर ने सौपे थे. पहचानियें अपने शब्दों की ताकत को….यह तलवार बनके किसी को घायल कर सकतें है, तो वहीं तहजीब में उतरकर तकदीर बदल सकतें है.

इस बात को हमेशा याद रखें

“आप कानों से सुनकर अपने शब्दों को आजाद न करें बल्कि दिल से सुनें….हमेशा कान का सुना पूरा सच नहीं होता जबकि दिल का सुना सामने वाले के अदंर छिपे सच को बाहर लाकर रख देता हैं.”

 

मान लीजिए, आपका बच्चा आपसे शिकायत करता है कि स्कूल में उससे कोई दोस्ती नहीं करता….

आप तुरंत उसके जवाब में उत्तर की पूरी फेहरिस्त बना लेते हैं. यह बिना उसको जाने एकतरफा अधूरी सोच होती हैं. जो घातक शब्दों के माध्यम से बाहर आती हैं.

आप यहीं कहेगें, “तुम्हें बात करनें का तरीका नहीं आता…तुम बहुत झगड़ालू हो आदि… जबकि उसकी जगह पर खुद को रखकर देखेगें तो आप उसको तनहा,अकेला और बेबस पायेगें.

 

आप शब्दों की ताकत को (तुम, मैं, हम ) में Divide करकें भी इस्तेमाल कर सकतें हैं. इसका मतलब, तुम अपनी बात मुझसे कहों. मैं तुम्हारी बातों को सुनूंगा/सुनूंगी. उस बात में मैं सहमत हूँ यह जरूरी नहीं मगर मैं अपनी राय रखूंगा/रखूंगी. उसके बाद हम दोनों मिलकर किसी निर्णय की भूमिका तय करेगें.

 

जिस घर में बुढ़ापे का अनुभव न हो, जवानी का जोश न हो और बच्चों का मनोरंजन न हो वह घर हमेशा अधूरा रहता हैं.”

 

शब्दों के बिना जिदंगी कितनी संकुचित हो जायेगी. न जाने कितनी पीढ़ियों के अनुभव शब्दों में गुथे पड़े हैं अगर यह न होते तो हम मानव कभी आगें नहीं बढ़ पातें, वहीं होतें जहाँ से शुरू हुए थे.

 

एक कुत्ता कई पीढ़ियों से क्यों कुत्ता बना हुआ हैं ? क्योकि उसके पास शब्द नहीं हैं इसलिए उसकी कई पीढ़ियाँ गुजर जानें के बाद भी वह एक शब्द जान पाया और वह हैं!! “भौ-भौ.”

 

कितने शब्द हैं, उनको इस्तेमाल करने की समझ आपको अलग बनाती हैं. छोटे से दो शब्द ‘हाँ और नाजीवन के मायनें बदल देतें हैं.”

 

यह बात सही हैं कि जमाने के साथ चलो….लेकिन जमाने के साथ अपने जमीर को भी जिदां रखों….लोग सही कहते हैं कि अपनी औकात देख कर बात करो….लेकिन हम उनकी बात का बुरा मान जातें हैं…वह सही तो कह रहे होतें हैं और हम औकात देख ही नहीं रहें होते…बजाय प्रतिक्रियाओं के हमें क्रिया (अपने काम) में लग जाना चाहिए…हम क्यों भ्रम में जीयें.

“घर में सम्बधों को कुचलकर भाईचारा देश में ढुढ़ रहें हैं. यह बिल्कुल धरती के सभी सुखों को छोड़कर चन्द्रमा पर पानी और मगंल पर स्वर्ग ढूढ़ने जैसा हैं.”

 

गधा कहने पर जब आप प्रतिक्रिया देते हैं तो आप अब हुए…अब तक नहीं थे, क्योकि बिना कहें गधा लात मार देता हैं और आप कहनें पर मारते हैं. एक कहने पर मारता हैं तो दूसरा बिना कहें मारता हैं. दोनों में फिर अतंर क्या हुआ ?

 

शब्दों की ताकत को जानों. बातों के पीछे मत भागों. बस कुछ ऐसा करो कि लोग तुम्हारी बातें करें.”

 

शब्दों की ताकतको कहाँ इस्तेमाल करें ?

 

1 – स्वंय में 

 

आप अपने शब्दों की ताकत को सबसे पहले खुद पर इस्तेमाल कीजिए. आप अपने काम को लेकर मन में सदेंह न करें क्योकि आप ही वह इंसान हैं जो इस काम को कर सकतें है. आप खुद को Motivate  करें और यह तभी सम्भव होगा जब आप इसे बार-बार अभ्यास में लायेगें.

 

2 – रिश्तों में 

 

अधिकतर शब्दों के चयन की समझ न होने कारण हम छोटी सी बात को झगड़े तक ले आतें हैं और फिर रिश्तों को तौड़कर अपनी बात को विराम देतें हैं. इससे हल कुछ नहीं होता बल्कि कई समस्यायें खड़ी हो जाती हैं.

जैसे –  घर में लोग अलग हो सकते हैं. बाहर के लोग जान के पीछे पड़ सकते हैं. रिश्तेदार आना-जाना बंद कर सकतें हैं आदि.

 

3 – निजी क्षेत्रों में 

 

आप किसी कम्पनी या संस्था में कार्य करतें हैं तो आपको अपने सीनियर अथवा जूनियर दोनों के बीच समन्वय बनाकर रखना होगा. आपका काम जितना महत्वपूर्ण होता हैं, उससे कहीं ज्यादा आपके शब्द महत्वपूर्ण हैं.

 

4 – सरकारी क्षेत्रों में

 

जनता सरकार को चुनती हैं और सरकार के तंत्र को चलाने के लिए सरकार लोगों का चयन करती हैं. जब आप सरकारी पद पर होतें हैं तब आपको आम लोगों के लिए कार्य करना होता है और आपको आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मर्यादित भाषा का प्रयोग करना चाहिए.

 

तो दोस्तों, आपको ‘शब्दों की ताकत’ का अंदाजा हो गया होगा. हमें उम्मीद हैं कि आप ‘शब्दों की ताकत’ को प्रयोग करके अपने जीवन को सुगम व सफल  बनायेगें.

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