Success Story : एक लड़की ने शुरू किया ₹100000 से बिजनेस और आज सालाना करती है 800 करोड रुपए का बिजनेस
Success Story : आज के इस आर्टिकल में हम आपसे बात करने जा रहे हैं निधि गुप्ता के बारे में। जी हां जिसकी उम्र केवल 23 वर्ष की है ज्यादातर लोग इस समय में अपने करियर बनाने के लिए इच्छुक होते हैं। इस समय अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी करने की तलाश में रहते हैं, लेकिन इस समय कुछ युवा अपने मेहनत और दूरदर्शीता से करोड़ों के मालिक बन जाते हैं। इन युवाओं ने ना केवल अरब डॉलर की कंपनी बनाई बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दिया है।
ऐसा ही कुछ करोड़पति निधि गुप्ता ने किया है जिनकी सफलता हर किसी को प्रेरणा देती है। फंड में उनके भाई के साथ बिना किसी बड़ी डिग्री किसी विशेष कौशल के भारी वित्तीय सहायता के 800 करोड का कारोबार साम्राज्य बनाया है।
Success Story : निधि के पिता राजस्थान वन विभाग में सामान्य कर्मचारी
राजस्थान के एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली निधि के पिता राजस्थान वन विभाग में सामान्य कर्मचारी है। उनकी मासिक आय भी कुछ खास नहीं थी परंतु उन्होंने बच्चों की परवरिश के लिए कभी कुछ नहीं किया। जिन्होंने अपना प्रारंभिक जीवन डूंगरपुर नामक एक छोटे से गांव में बिताया था वही उनके माता-पिता ने हमेशा प्रोत्साहित भी किया था। साल 2011 में निधि ने अपने भाई के साथ अपना खुद का एक प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई थी लेकिन सीमित संसाधनों के साथ एक व्यवसाय शुरू करना बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण था।
इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 1,37,000 रुपए की छोटी पूंजी के साथ अपने सपने की नींव रखी थी। उनकी पहली योजना बीकानेर के 4 बीघा जमीन पर 250 किलो वाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना था। व्यवसाय को लाभ बनाने के लिए फंड ने छोटे से मध्यम आकार के व्यवसायियों को लक्षित किया। इसके बाद सोलर बिजनेस पर रिसर्च के दौरान फंड में पाया कि लोग टैक्स ब्रेक पाने के लिए सोलर प्रोजेक्ट में निवेश करना चाहते थे और फिर उन्होंने इस निर्देश को अपना मुख्य स्रोत बना लिया।
एक इंटरव्यू के दौरान निधि ने बताया यहां तक कि हमारे पास किसी प्रोजेक्ट के लिए 10 निवेशक हैं तो हम सब उनकी और से जमीन खरीदते हैं और उसे समान रूप से निवेशकों में बांट देते हैं। सोलर प्रोजेक्ट में निवेश करने की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि अगर कोई 1 मेगावाट की परियोजना में ₹60000000 का निवेश करता है, तो उसे 4 साल में अपना निवेश वापस मिल जाता है। हालांकि इतना ही नहीं अगले 25 वर्षों तक बिजली उत्पादन से होने वाली आय में भी उन्हें हिस्सा दिया जाता है।
Success Story : सरकारी अनुमति प्राप्त करना और दस्तावेज तैयार करना सबसे बड़ा काम
हालांकि यह सारे काम इतने आसान नहीं होते हैं। सरकारी अनुमति प्राप्त करना और दस्तावेज तैयार करना सबसे बड़ा काम होता है और इसके लिए बहुत ही अच्छे सरकारी कनेक्शन की आवश्यकता होती है। इस धंधे पर राजनीति का बड़ा प्रभाव पड़ता है। दोनों भाई बहन ने मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काफी मेहनत की कंपनी ने अकेले पहले वर्ष में दो करोड़ रुपए का कारोबार किया था। इसके बाद 2013 में टर्नओवर 70 करोड़ तक पहुंच गया था।
अब यह कंपनी 800 करोड रुपए का रेवेन्यू कमा रही है। उन्होंने अब तक कुल 500 मेगावाट की परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करने वाले इन भाई और बहनों की सफलता वास्तव में ही प्रेरणादायक है।
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