पानी और विचार से जाने जीवन जीने का तरीका

दोस्तों अगर आप MJC पढ़ रहें तो कुछ बेहतर पढ़ रहें हैं । आज हम लेकर आयें हैं पानी और विचारों पर महत्वपूर्ण जानकारी ..  । 
पानी के बिना जीव जगत के जीवन की कल्पना करना व्यर्थ हैं । उसी प्रकार सही विचारों के बिना मनुष्य की मानसिकता का मानवता के प्रति कल्याण कर पाना मुश्किल हैं ।”
रहीम दास जी का दोहा है : 
रहीमन पानी राखियें, बिन पानी सब सून । 
पानी  गयें  न  ऊबरे  मोती,  मानुषचून ।। 
अर्थात – बिना पानी के सब कुछ बेकार हैं …यहा रहीम दास ने पानी को तीन रूपों में विभक्त किया हैं ..मनुष्य के लिए विनम्रता (पानी) हैं । मोती के लिए उसकी आभा चमक (पानी) हैं और आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता ।
हम पानी और विचारो को कितनी प्रकार से मानव के लिए कल्याणकारी मान सकते हैं :-
* पानी में गदंगी मिला दो तो नाला बन जाता हैं और सुगंध मिला दो तो गंगाजल बन जाता हैं ।
                    ठीक उसी प्रकार
अपनी सोच में सकारात्मकता ले आयें तो सारी चीजें सुलभ हो जाती हैं और यदि नकारात्मकता ले आयें तो सारी चीजें जटिल और उलझी हुई लगती हैं ।
* पानी का न होना मानव का मरूस्थल हो जाना हैं और यदि अधिक हो जायें तो जीव जगत की जल-समाधी हो जाना । 
                   ठीक उसी प्रकार
सद्  विचारों के अभाव में मनुष्य जानवरों की भाति जीव जगत के जगंलों में विचरण करता हैं और यदि दुरविचारों की बाढ़ आ जायें तो भय का दंश जीवन ड़स लेता हैं । 
* पानी अपना रास्ता खुद बनाता हैं और यदि रास्ते में कोई पहाड़ आ जायें तो वह अपना रास्ता बदल लेता हैं मगर चलना नहीं छोड़ता । मृदुल होने के बावजूद वह बड़े से बड़े पहाड़ कों काटनें की भी क्षमता रखता हैं ।
                    ठीक उसी प्रकार
आपके विचार आपके जीवन जीने के तरीके बनाते हैं । यदि कोई मुश्किल आ जायें तो रास्ता बदलियें मंजिल नहीं । आपके विचार कोमल होने के बावजूद बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना करनें में सक्षम होते हैं ।
* पानी की बूँद पानी से अलग होकर अपना अस्तित्व खो देती हैं मगर पानी के साथ रहकर अपने धैय को सार्थक करती हैं ।
                       ठीक उसी प्रकार
आपके लिए विचार तभी काम करते हैं जब आप उनमें सलंग्न हो, निपुण हो तथा आपकी सार्थकता सिद्ध करते हो । 
अलग होने पर वह महत्वहीन ही हैं । 
जैसे :- गधे के ऊपर चीनी का बोरा रखा होने से वह चीनी का स्वाद नहीं जान जाता । 
आप पानी को पीकर प्यास बुझा सकते हैं । मगर पानी की प्यास नहीं बुझा सकते । उसकी प्यास परोपकार में ही पूरी हो सकती हैं ।
                       ठीक उसी प्रकार
आपके विचार आपके जीवन कल्याण के लिए हो सकते हैं मगर विचारों का कल्याण तो जिज्ञासुओं की पिपासा को शांत करने में हैं । 
दोस्तों,  आपकों हमारी पाँस्ट पढ़कर  कैसा अनुभव मिला …हमें कमेंट में जरूर बतायें ।
हमसे ऐसे ही जुडे़ रहें ,,हम आपके लिए ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ लेकर आते रहेगें। धन्यवाद !

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