कैसे हुई Panasonic कम्पनी की शुरूआत – जानें पूरी कहानी

Panasonic Company Success Story in Hindi

आज से लगभग 125 साल पहले जापान के एक छोटे से गांव में किसान के घर में एक बच्चे का जन्म हुआ. उसका नाम “कोनोसुके मात्सुशिता” रखा गया. कोनोसुके का जन्म 27 नवम्बर 1894 में हुआ था तथा उनकी मृत्यु  27 अप्रैल 1989 को हुई थी. जब कोनोसुके 9 बर्ष के थे, तब उनके पिता को आर्थिक परेशानियों की वजह से अपनी सभी जमीनें बेचनी पड़ी और घर छोड़ना पड़ा.

गाँव मे सब कुछ गंवा चुके कोनोसुके के पिता परिवार सहित शहर आ गए और छोटे-मोटे काम करने लगे. अपने परिवार की मदद के लिए 9 बर्ष के कोनोसुके को भी पढ़ाई छोड़कर एक दुकान में काम करना पड़ा. वो सूरज की पहली किरण के साथ उठते, दुकान की साफ साफाई करते और अपने मालिक के बच्चों की देखभाल में लग जाया करते थे.

15 की उम्र तक साइकिल की दुकान पर काम

जिस जगह कोनोसुके काम करते थे. उनके मालिक को घाटा होने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. उसके बाद उन्होने एक साइकिल की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया. उस जमाने में साइकिल Luxury सामान थी और UK से Import होती थी.  दुकान पर मेटल का काम भी होता था. कोनोसुके को वहां अन्य कामों के साथ टेक्निकल Tools के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. उन्होंने यहां लगभग पांच वर्ष काम किया और पंद्रह वर्ष की उम्र में वे ऐसा तलाशने लगे जहां काम के साथ वे कुछ और भी सीख पाएं.

20 वर्ष की आयु में शादी

कोनोसुके की बहन ने अपनी दोस्त ‘मुमेनो’ से परिचय कराया. दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई. कुछ दिनों बाद दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद कोनोसुके की जिम्मेदारियाँ और ज्यादा बढ़ गई. इसलिए भविष्य में बिजली की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए उन्हें लगा कि इसी क्षेत्र में नौकरी ढूढनी चाहिए. एक दिन उन्हें ‘ओसाका’ इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी का एक विज्ञापन दिखा, जिसमे कंपनी को नए लोगों की जरूरत थी. कोनोसुके जहां एक ओर नौकरी में बहुत कुछ सीख रहे थे तो वहीं दूसरी ओर वे अपने खाली समय में इलेक्ट्रीसिटी से संबंधित किताबें भी पढ़ रहे थे. वे कुछ छोटे-मोटे एक्सपेरिमेंट्स भी किया करते थे.

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22 की उम्र में ‘ओसाका’ इलेक्ट्रिक कम्पनी में टेक्निकल पद

22 साल के कोनोसुके ‘ओसाका इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी’ में टेक्निकल इंस्पेक्टर पद पर काम कर रहे थे जो उस समय एक बड़ा पद माना जाता था. इसी दौरान उन्होंने अपने खाली समय का उपयोग करते हुए एकदम नया मॉडर्न इलेक्ट्रिकल सॉकेट बनाया और अपने बॉस को दिखाया.

बॉस को उनका यह आईडिया बिलकुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उसे यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि ये मार्केट में नहीं चलेगा. लेकिन कोनोसुके को अपने बनाए इलेक्ट्रिकल सॉकेट पर पूरा भरोसा था. उन्हें विश्वाश था कि ये बाजार में जरूर चलेगा और इसी विश्वाश के दम पर उन्होंने नौकरी छोड़ खुद का काम करने का फैसला किया.

कुछ दोस्तों से बात की तो उन्होंने सलाह दी कि इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर खुद का काम शुरू करने के बारे में सोंचना मूर्खता है लेकिन कोनोसुके को खुद पर और अपने प्रॉडक्ट पर पूरा भरोसा था.

उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और थोड़ी सी जमा पूंजी के साथ कुछ बेसिक टूल्स खरीद लिए. दो Co-workers और छोटे भाई के साथ घर पर ही काम की शुरुआत की और सॉकेट बनाने लगे.

वे खुद ही जगह-जगह जाकर सॉकेट बेचने की कोशिश करते लेकिन कहते हैं न कि सफलता आसानी से हाथ नहीं लगती. कोनोसुके के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था. वह जहां भी जाते उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता. कई महीनों बाद कुछ छोटे आर्डर मिले. बुरे हालत को देखते हुए दोनों Co-workers ने उनका साथ छोड़ दिया. आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो गई थी कि घर चलाने के लिए उन्हें घर का सामान बेंचना पड़ा.

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हर दिन वे एक नई कोशिश करते और असफल हो जाते. अब घर वाले भी कहने लगे थे कि नौकरी ही एकमात्र विकल्प बचा है पर कोनोसुके हार मानने को तैयार ही नहीं थे.

फिर एक दिन अचानक उनकी कंपनी को एक हज़ार pices का पहला आर्डर मिला. इसके बाद उनके बिज़नेस ने रफ़्तार पकड़ ली. आज इस कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 70 बिलियन डॉलर है और उस कंपनी का नाम है, Pansonic

 

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जापान में इन्हें ‘द गॉड ऑफ़ मैनेजमेंट के नाम से जाना जाता है. 

कोनोसुके मात्सुशिता अगर दूसरे लोगों  की सुनते तो वो भी यही मान लेते कि उनका आईडिया एकदम ख़राब है और उन्हें इसे इसे छोड़ देना चाहिए.

फिर तो आज पैनासॉनिक जैसी बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का दुनियां में कोई वजूद ही न होता.

जब आप दूसरों की सुनने लगेंगे तब आपको यही पता चलेगा कि मेरा आईडिया एकदम खराब है और मुझे इसे छोड़ देना चाहिए.

ध्यान रखे आपने काफी सोंच समझकर ही स्टार्टअप की शुरुआत की होगी. इसलिए बेहतर है कि आप अपना समय और दिमाग अपने आईडिया को सफल होने में लगाएं. बजाय ये सोंचने में कि आईडिया ख़राब है और मुझे इसे छोड़ देना चाहिए.

एक बात याद रखें जो आप सोंचेंगे वहीं आपको मिलेगा .

मैडम मैरी क्यूरी (नोबेल प्राइज विनर) ने कहा है – “अगर आप जानते हैं कि आप सही हैं तो जो काम कर रहे हैं उसे करते जाइए.” इसलिए कभी हार मत मानें. निरंतर प्रयास करते रहें ,सफलता एक न एक दिन जरूर मिलेगी.

उम्मीद करते हैं, इससे आपको जरूर कुछ जानने को मिला होगा.

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