हमारे परिवेश में नकारात्मकता ( negativity) की जड़े काफी गहरी फेल चुकी है | आपको सकारात्मक ( positive ) सोच बताने वाले दिपक लेकर ढुढ़ने पर भी नही मिलेगें जबकि नकारात्मक (negative) सोच वालो की कोई कमी नही हैं बल्कि आपको सलाह (advice) भी मुफ्त में मिलेगी |
“अगर आपके साथ में कुछ भी गलत हो रहा है तो इसका मतलब यह नही सब कुछ गलत है | बल्कि ऐसा हमें महसूस हो रहा हैं | “
एक गॉव में सुखीराम नाम का किसान रहता था | उसके दो लड़के थे | दोनों की उमर में दो साल का अन्तर था | सुखीराम का जैसा नाम था वैसा ही उसका व्यवहार था | सभी गॉव के लोग उसके व्यवहार से खुश रहते थे | घर में एक गाय थी जो सुबह – सायं दूध देती थी | दूध पीने के लिए हो जाता बाकि बचे दूध का घी बना कर बेच देते थे जिससे घर में चार पैसे भी आ जाते थे बड़े ही चैंन की जिदंगी चल रही थी |
एक दिन अचानक से गाय को तेज बुखार आ गया | सुखीराम पास के ही गॉव में डाँक्टर को लेने चल दिया , चूकि रात का वक्त था और समय भी कम इसलिए सुखीराम ने जल्दी पहुँचने के लिए पक्की सड़क से न जाकर कच्चे रास्ते से जाना उचित समझा | तभी उसे दाहिने पाँव में चुभन सी महसूस हुई | सुखीराम ने पाँव पर ट्राच मारी तो देखा दो मामूली से छेद हो रहे है थोड़ा नजर दौड़ई तो देखा एक सॉप दौड़ता हुआ जा रहा है | सुखीराम साँप को देखकर पहले तो घबरा गया फिर उसने हिम्मत से काम लिया | सुखीराम ने तुरन्त अपने गमछे (अगोछे ) को फाड़ा और पाँव को दौनों तरफ से बाँध दिया | ताकि जहर के प्रवाह को शरीर में जाने से रोका जा सके | उस गॉव में जाकर डाँक्टर को पूरी बात बताई | डॉक्टर ने तुरन्त सुखीराम को बैध के पास ले गया और वक्त पर इलाज मिल जाने से सुखीराम तो बच गया मगर गाय का इलाज शुरू हो पाता उससे पहलें ही गाय खत्म हो गई |
सुखीराम का बड़ा लड़का पेड़ पर लकड़ी लेने चढ़ा हुआ था अचानक उसका पॉव फिसल गया और उसके बाँये हाथ की हड्डी टूट गई |
इतने सारे दु:खो को एक साथ देखकर सुखीराम की पत्नी का रो – रोकर बुरा हाल हुआ जा रहा था |
जब सुखीराम की पत्नी ज्यादा ही खयालों में खोये रहने लगी तो सुखीराम ने अपनी पत्नी को समझाया | देखों तुम्हे इतना परेशान नही होना चाहिए | तुम्हे परेशान होने की वजह खुश होना चाहिए | तभी बीच में बात काटते हुए सुखीराम की पत्नी बोली , ” बेटे का हाथ टुट गया | तुम्हे साँप ने कॉट लिया | गाय खत्म हो गई | फिर भी तुम कहते हो मैं परेशान न रहूँ | “
सुखीराम ने मुस्कराते हुए कहॉ , ” देखों गाय वृद्ध हो चुकी थी उसने हमसे ज्यादा सेवा भी नही कराई और ना ही वो हमें कर्ज में छोड़कर गई | जो उसके घी से पैसे बचे है हम उससे छोटी बछीयॉ ( गाय का बच्चा ) खरीद लेगें |
ईश्वर की कृपा से बेटे का हाथ ही टुटा और कुछ नही हुआ वो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाऐगा और मुझे जिस सर्प ने काँटा वो पानी वाला सॉप था इसलिए मैं भी तुम्हारे सामने स्वस्थ खड़ा हूँ | तो इससे और ज्यादा क्या खुशी की बात हो सकती हैं | “
दोस्तों , हमारे जीवन में भी कई बार ऐसा ही होता है कि एक साथ कई समस्याऐं आकर सामनें खड़ी हो जाती है | हम समस्याओं से निपटनें की वजह हौसला खो बैठते हैं | यह समस्या तब और ज्यादा बड़ी हो जाती हैं जब घर का मुखियॉ ही कमजोर पड़ जाता है | हमें परेशानियों से और ज्यादा परेशान होनें की वजह उनकी बारिकियों पर ध्यान देना चाहिए |
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