कोरोना के ‘दंश’ फायदे और नुकसान एक दृष्टी में !
April 5, 2020
Advantages and disadvantages of corona in hindi
दोस्तों, जिन परिस्थितियों से आज समूचा विश्व गुजर रहा हैं. उन परिस्थितियों के पीछे की वजह विश्व में बढ़ती प्रकृति के प्रति अराजकता हैं. और उसी का नतीजा हैं कि हमें छोटे से विषाणु ने घरो में कैद कर दिया हैं. आज विश्व के अधिकतर देशों में लाँकडाउन की स्थिति बनी हुई हैं. चीन से जन्में इस वायरस ने पूरी दुनियाँ में हाहाकार मचा दिया हैं. चीन में जानवरो को बड़े पैमाना पर खाया जाता हैं. बेजुबानों को तड़पा-तड़पा कर मारा जाता हैं.
भारत की संस्कृति व संस्कारों ने सदा ‘जीवों पर दया करों’ का मंत्र दिया.
हमारी संस्कृति व संस्कार पूरी तरह वैज्ञानिक रहें हैं. हमारे पूर्वजों ने Quarantine के नियम हजारो साल पहले ही बना दियें थे. आज भी उन नियमों का हमारी संस्कृति में किया जाता हैं.
उदाहरण के लिए जब शव का अंतिम संस्कार करके आते हैं. तो घर में घुसने से पहले ही हाथ-मुंह ( सेनेटाइज ) कराये जाते हैं. तेरह अथवा चौदह दिनों तक पूरा परिवार अन्य लोगों से दूर रहता हैं. ताकि यदि कोई बिमारी से संक्रमित हुआ तो उसका समय पर इलाज हो सके और अन्य लोगों में वह रोग न फैलें.
जब किसी महिला का प्रसव होता हैं तब भी लोग खुद को अलग कर लेते हैं. साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता हैं.
‘कोरोना’ (कोविड-19) को हराने के लिए समाज के हर व्यक्ति को साथ देना होगा. खुद को संकल्पित करना होगा. समाज में उपस्थित कुछ शिक्षित तथा पढ़े-लिखे अशिक्षित ‘कोरोना’ की चैन को मजबूत करने में लगें हैं. हमारे यसस्वी प्रधानमंत्री के संकल्प को तौड़ने में लगे हैं. ऐसे लोगों से समाज और समाज से देश को बहुत बड़ा खतरा हैं.
आज पूरे विश्व की निगाहें हमारे देश के संकल्प पर टिकी हुई हैं. पूरा विश्व उम्मीद से देख रहा हैं. विश्व की नम्बर एक तथा दो अमेरिका और इटली की मेडिकल व्यवस्थाओं ने अपने घुटने टेक दिये हैं. 135 करोड़ के देश में यदि यह बिमारी फैली तो हमें तबाह होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. हमें हमारे संस्कार ही बचा सकते हैं. हमारे संस्कार देश की सरकार के नियमों को पालन करने में हैं. लाँकडाउन की लक्ष्मण रेखा को न लागंने में हैं. लक्ष्मण रेखा खुद की खुद पर खीची गई वह रेखा हैं जो आपको संयम में रहने की नसीहत देती हैं. किसी के बहकावे में न आयें. किसी के छलावे में न आयें. आपको याद होगा एक बार छलावे में आकर माता सीता ने लक्ष्मण रेखा लाग दी थी. उसके बाद लाखों का संहार हुआ.
आज ‘कोरोना’ रूपी रावण आपके दरवाजे गली-मौहल्ले में किसी भी रूप में किसी भी वस्तु से होकर आपके घर में प्रवेश हो सकता हैं.
सिर्फ आपकी सतर्कता तथा सरकार के नियमों को कड़ाई से पालन करके ही ‘कोरोना’ पर जीत पाई जा सकती हैं.

कोरोना’ से होने वाले नुकसान :-
* कोरोना की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा.
* कोरोना की वजह से देश में बेरोजगारी की बड़ी समस्या उत्पन्न होने वाली है.
* कोरोना की वजह से देश में महँगाई बढ़ने के आसार.
* जब बेरोजगारी बढ़ेगी तो देश में क्राइम में वृद्धी हो सकती है.
कोरोना की वजह से कुछ फायदें भी देखने को मिलें है.
Econimic times के अनुसार देश में सड़क दुर्घटना के मानव जीवन पर असर के बारे में यह घटना सही तस्वीर बयां करती है. साल 2017 में भारत में सड़क दुर्घटना की वजह से हर रोज 600 लोगों की जान चली गयी. द लांसेंट पब्लिक हेल्थ जर्नल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है.
साल 2017 में देश में कुल 2.19 लाख लोगों की मौत हुई. राज्यों से परिवहन विभाग ने जो जानकारी मंगाई है उसके हिसाब से 71,000 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना की वजह से हुई थी.
Bhaskar.com के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से 2017 के दौरान भारत में 12 लाख लोगों की मौत हुई. अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ में यह दावा किया. इसमें बताया गया कि 2017 के दौरान हार्टअटैक, लंग कैंसर, डायबिटीज जैसे रोगों की वजह से विश्व में 50 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें से 30 लाख लोगों की मौत सीधे तौर पर पीएम 2.5 की वजह से हुई.
सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें शेयर कर रहे हैं. सड़कों पर नील गाय और हिरणों के विचरण की प्रदूषण में भारी कमी आयी है.
इससे ज्यादा जो आकड़़े है वो और चौकातें हैं.
अस्पतालों में OPD बन्द हैं. इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है.
तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी
माना, सड़कों पर गाड़ियाॅ॑ नहीं चल रही हैं;
इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है.
परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या
हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं.
ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं
आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है ?
दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले
शवों की संख्या में 24% की कमी आयी है.
क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया
नहीं.
यह सवाल उठाता है मेडिकल पेशे के लूटतंत्र का
जहाँ कोई बीमारी नहीं भी हो वहाॅ॑ ⚡डॉक्टर
उसे विकराल बना देते हैं. कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के
उदभव के बाद तो संकट और गहरा हो गया है.
मामूली सर्दी-खाॅ॑सी में भी कई हजारों और
शायद लाख का भी बिल बन जाना कोई हैरतअंगेज बात नहीं रह गयी है.
अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं.
लेकिन डर कुछ ज्यादा ही हो गया है. बहुत सारी
समस्याएं डॉक्टरों के कारण ही है. इसके अलावा
लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं, इससे भी फर्क पड़ता है.
सभी डाँक्टर ऐसे नहीं हैं. अभी सभी डाँक्टर्स ने एकजुटता दिखाई हैं. इसी प्रकार डाँ. अपना काम ठीक से करे और लोगों को पीने का पानी शुद्ध मिले
तो आधी बीमारियाॅ॑ ऐसे ही खत्म हो जाएँगी.
कनाडा में लगभग 40-50 वर्ष पूर्व एक सर्वेक्षण
हुआ था. वहाॅ॑ लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की
हड़ताल हुई थी. सर्वेक्षण में पाया गया कि
इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी.
“स्वास्थ्य हमारी जीवन शैली का हिस्सा है जो केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है.”
“महत्मा गाँधी ने ‘हिन्द स्वराज’ में लिखा है कि डॉक्टर कभी नहीं चाहेंगे की लोग स्वस्थ रहें.
वकील कभी नहीं चाहेंगे कि आपसी कलह खत्म हो.”
“ओशो ने भी यह कहा था की पहले जब राजे रजवाड़ों में युद्ध होता था तो उस समय सास बहू या पड़ोसी भी आपस में नहीं लड़ते थे क्योंकि तब पूरी चेतना बड़ी लड़ाई की ओर केन्द्रित होती थी.”
ठीक, वैसे ही आज कई बिमारियों के मरीज केवल कोरोना से डरे बैठे है तो उनकी पुरानी बिमारियों के लक्षण सामने नहीं आ रहे हैं और वो अधिक स्वस्थ हैं.
‘कोरोना’ के विषय पर निडरता और बेबाकी से अपनी राय रखने वाले डॉ. ‘विश्वरूप रॉय चौधरी’ जी ने अपनी पुस्तक “हॉस्पिटल से जिन्दा कैसे लौटें” में हॉस्पिटल माफिया विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला है. जो सभी को पढ़नी चाहिए. इस पुस्तक को नीचे दिए लिंक से डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं.
नोट :- इस पुस्तक में दी गई जानकारियां कितनी ठीक हैं ? यह तो जांच का बिषय हैं. मगर एक बार पढ़ने के बाद आपको सोचने पर मजबूर जरूर करती है. 10-12 mb की E Pdf book डाउनलोड़ करके आपको जरूर पढ़नी चाहिए. आपको कई बिमारियों के मायाजाल के बारे में जानने को मिलेगा.
जो भी हो, lockdown से परेशानियाॅ॑ हैं जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं.
अनजाने में सीखी इन अच्छी आदतों को और अनुभवों को जीवन का अंग बना लीजिए. ऐसा अवसर फिर मिले न मिले.
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धन्यवाद