10 ऐसी कमियां जो नहीं मरने देती आपके अंदर के रावण को
इस दशहरा मारे अपने अंदर छिपे अज्ञानता के रावण को motivational article on dussehra in hindi
दोस्तो, आज की पोस्ट दशहरें के इस पावन पर्व, बुराई पर अच्छाई के लिए लिखी जा रहीं है. आप दशहरे और रावण से तो भलिभाॅति परिचित हैं. लेकिन परिचित नहीं हैं तो अपने अंदर छिपी बैठी कमजोरियाँ से जो आपको आगे नहीं बढ़ने देती. आज हम जानेगें ऐसी कमजोरियाँ जो आपको आगे नहीं बढ़ने देती. 10 ऐसी कमियां जो नहीं मरने देती आपके अंदर के रावण को इस पोस्ट को पूरा पढ़िएं.
10 ऐसी बुराईयां जो हमें गरीब से अमीर नहीं बनने देती. हमें बुरे इंसान से अच्छा इंसान बनने से रोकती हैं. तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं वो दस कमजोरियाँ..
1- कोई Skill न होने के बाद भी सर्वश्रेष्ट समझना
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बहुत से व्यक्ति बाते मारने में बडे़ माहिर होते हैं वो बातो को ही अपनी Skill मान लेते हैं. वह जहाँ भी जाते हैं बस अपने बारे में बड़ी-बडी बाते मारना शुरू कर देते हैं. बड़ी बाते करने के लिए भी योग्यता की आवश्यकता होती है. इसके बाद भी आप उस व्यक्ति के सामने अपनी बातें रखेंगे जो आपकी पूरी जन्म कुण्डली जानता है तो आपकी दाल नहीं गलेगी. यह बात अलग है कि आप स्वंय “मियां मिठ्ठू बने रहें.”
2- समझने से ज्यादा परखते रहना

आप जहां कहीं भी रहते हैं या जिस जगह काम करते हैं. उस जगह के लोगों को आप जितना ज्यादा परखने का काम करेंगे उतना ही अधिक आपके रिश्ते खराब होते चले जाएंगे. क्योकि जब आपके रिश्ते खराब होंगे तो आपका काम रूकेगा और काम रूकेगा तो आपको आर्थिक व मानसिक समस्याओ को झेलना पड़ेगा. आप किसी को परखने से ज्यादा उसे समझने का प्रयास करें. हो सकता है कि आप जिस बात को लेकर उसके बारे में सोच रहें है वो बात हकीकत में कुछ और ही हो.
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3- अपेक्षाओं का बोझ लेकर चलना
अपेक्षाएं व्यक्ति को स्वयं का आकलन करने योग्य बनाती हैं. ये वे मापदंड हैं, जिन पर व्यक्ति लगातार खुद को परखता रहता है. हम खुद से क्या चाहते हैं और हमें क्या मिला है, तुलना जब इन दो चीजों के बीच होती है तो कई बार हासिल का महत्व कम हो जाता है और जो नहीं मिला, उसका दर्द बढ़ जाता है. दरअसल खुद से कई बार जो अपेक्षाएं होती हैं, वे वास्तविक या व्यावहारिक नहीं होतीं. जिन सफल सलेब्रिटीज को हम जानते हैं, वे सफल होने से पहले संघर्षरत ही थे. कई बार हम खुद को इतना परफेक्ट मानने लगते हैं कि लगता है कि हमसे कोई चूक नहीं होगी.
4- अपनो से शुरुआत करें
हम अपने ही लोगो को अपना प्रतिद्वंदी बना लेते हैं. जब अपना ही कोई आगे बढ़े तो उसका सहारा बने. उससे प्रेरणा लें और आप भी आगे बढ़ने की कोशिश करें. कुछ लोगो की सोच कैसी होती है ? मै आपको एक उदाहरण से समझाता हूँ.
उदाहरण :- हम यह मान लेते हैं कि यदि कोई पेड़ जिसकी जगह में लगेगा तो पेड़ भी उसी का होगा, पत्ते भी उसी के होंगे, फल भी उसी के होंगे, लकडी भी उसी की होगी. यदि सब कुछ उसका होगा तो हमारा क्या ?
फिर हम उसके बारे में बुरा-भला सोचने लगते हैं. पर आपको पता होना चाहिए कि कोई पेड़ जिसकी जगह में लगेगा वह आपका नही होगा लेकिन इसके बावजूद आपको हवा मिलेगी, छाया मिलेगी, स्वच्छ सुगंध मिलेगी. जो चाहकर भी कोई नहीं रोक सकता. इसलिए यह बात भूल जाइयें कि कोई दूसरा बढ़ेगा तो आपका फायदा नहीं होगा.
आप न दिखने वाले फायदें से अंजान होकर झगड़ने का प्रयास करते हैं. यही आपकी सबसे बड़ी कमी होती है.
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5- यदि कोई आपको समझाये तो उसकी सुनें
रावण ने हमेशा अपनी बात मानी. रावण की पत्नी मंदोदरी ने लाख समझाया पर उसने एक ना सुनी. रावण के भाई विभीषण ने बहुत समझाने का प्रयास किया पर एक ना सुनी, ऊपर से भरी सभा में बेइज्जत करके लंका से बेदखल कर दिया. अंतत: रावण का सर्वनाश हुआ.
ठीक इसी प्रकार यदि आपसे कोई बड़ा या छोटा कुछ समझाने का प्रयास कर रहा है तो उसे पूर्ण रूप से तार्किक होकर सुनें. हो सकता है कि आप उसकी बातो से सहमत ना हो पर आपको फिर भी उस बात का आकलन अवश्य कर लेना चाहिए. “ज्यादातर लोग अपने केश में जज और दूसरो के लिए वकील बने बैठे है इसलिए नाकामयाब हैं.”
6- सही-गलत की जिम्मेदारी लें
जब आप जिम्मेदारी लेने लगते हैं तो आपका अनुभव बढ़ता है. साधारणतय लोग कमियों का ठीकरा दूसरो के ऊपर फोड़ना पसंद करते हैं. इससे सिर्फ आपस में दरार पैदा होती हैं. मान लीजिए आपसे कोई कमी हो गई और आपने उसे सहज स्वीकार कर लिया तो हो सकता है कि सामने वाला व्यक्ति आपको माफ कर दें. इससे दूसरे व्यक्ति के मन में आपके प्रति किसी प्रकार का द्वंद पैदा नहीं होगा. इसके बाद आपके प्रति उस व्यक्ति की निष्ठा और बढ़ेगी. अब मान लेते है कि आप अपनी गलती को स्वीकार ना करें तो क्या होगा ? आप उस समय तो बच जाएंगें लेकिन सदा-सदा के लिए आपके ऊपर से विश्वास चला जाएगा.
7- लक्ष्य को छोटे-छोटे उद्देश्यों में बांटे
प्रभू श्री राम ने जब लंका पर युद्ध की रणनीति बनाई तो उन्होने प्रत्येक को युद्ध का उद्देश्य दिया. उन्होने किसी को भी अलग नजरिए से नहीं देखा. प्रत्येक को कार्य सौपा और काबलियत को निखारने का बराबर का अवसर दिया. ठीक इसी प्रकार आपके साथ जो भी हैं चाहे वो परिवार में हो या फिर बिजनेस में प्रत्येक को एक उद्देश्य दीजिए और उनकी काबलियत को निखारने में सहयोग कीजिए. आप यकिन मानिए एक और एक 11 बनेंगे.
8- जो आपके बुरे वक्त में भी खड़े रहें हो, उन्हे ना छोडे़ं
प्रभू श्री राम जब अयोध्या वापस आएं और उनका राज तिलक हुआ तो उनसे पूँछा गया कि आपके राज तिलक में किस-किस को आमंत्रित करना है तो सबसे पहले प्रभू श्री राम ने उस केवट का नाम लिया जिसने सरयू नदी पार कराई थी.
इसे दूसरे उदाहरण से अपने निजी जीवन को समझते हैं.
हीरा बेसकीमती चीज होती है और वो समुद्र की गहराइयों में पाया जाता है. हीरे को पाना कोई आसान काम नहीं, उसे पाने के लिए बहुत मसक्कत करनी पड़ती हैं. ठीक इसी प्रकार हमारे आस-पास रहने वाले लोग भी किसी हीरे से कम नहीं होते, बशर्ते उनको पहचाना पड़ता है और पहचाने का सिर्फ एक ही तरीका है कि वो आपके हर सुख-दु:ख में साथ खड़े रहे हो. तो समझ लेना कि आप किसी हीरे की संगति में रह रहें हो. अब होता क्या है कि जब आपकी किसी बात को लेकर थोडी अन-मन हो जाती है तो उस हीरे को मना लेना. उससे सदा-सदा के लिए हाथ मत छुडा लेना क्योकि ऐसे इंसान बार-बार नहीं मिलते.
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9- आप जो भी करें उसे लिखते जाए
अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने के लिए, ऐसी किसी एक्टिविटी के बारे में सोचकर देखिये, जिसमें या तो आप सिर्फ शामिल होते हैं, या फिर आपको उसमें बहुत मजा आता है. किसी एक पूरे हफ्ते या और भी दिन, आपने दिए हुए दिनों में जितनी भी एक्टिविटी में भाग लिया है, उनमें से किस में, आपको शामिल होकर कितना मजा आया, उसे 1 से लेकर 5 नंबर तक रेट करें और लिखते जाएँ.
स्टडीज के मुताबिक, जर्नल लिखना या डायरी लिखना, आत्म-ज्ञान करने का या फिर किसी की अपनी इच्छाओं और ताकत को जानने का एक सबसे अच्छा तरीका है. ये किसी दिन आपके द्वारा बिताए गये सारे यादगार पलों की एक लिस्ट को लिखने से लेकर आपकी सबसे बड़ी चाहत या इच्छा के बारे में एक लम्बी कहानी लिखने जितना ही आसान है. आप अपने आपको जितना ज्यादा अच्छी तरह से जानने लगेंगे, आपको अपनी ताकत पहचानने में उतनी ही ज्यादा आसानी होगी.
10- अपनी कमजोरियों को जला दें
आपने ऊपर की सभी हैंडिग ध्यान पूर्वक पढ़ी हैं तो आपको मालूम चल गया होगा कि आपमें क्या कमजोरियाँ और क्या खामियां है ? जिनकी वजह से आप कामयाब नहीं हो पा रहें हैं. उन सभी कमजोरियों को खत्म करने का प्रयास करें. इस दशहरा रावण को जलाने में समय मत खपाइयें क्योकि हकीकत का रावण तो हमारे अंदर ही छिपा बैठा है जिसे सदा-सदा के लिए जलाना जरूरी है.
नोट :- छाता बारिश तो नहीं रोक सकता लेकिन बारिश में खड़े होने का हौसला जरूर देता है. ठीक उसी प्रकार मोटीवेशन सफलता की गारंटी तो नहीं देता, परंतु सफलता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा अवश्य देता है.
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