Lalitha Rao : जानिए भारत की पहली महिला इंजीनियर की कहानी जिसकी 15 साल की उम्र में हुई शादी और 18 में बनी विधवा

Lalitha Rao : 27 अगस्त 1919 में ललिता का जाना में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उस समय लड़कियों को लड़कों की तुलना में कम महत्व दिया जाता था। अगर कहे तो लड़कियों को केवल घर में ही रखा जाता था।

पहले के समय में इन सभी चीजों के चलते कम उम्र में लड़कियों की शादी भी कर दी जाती थी। ऐसी ही ललिता की शादी 15 वर्ष की आयु में कर दी गई थी और दुर्भाग्यवश वह 18 वर्ष की उम्र में ही विधवा हो गई थी। जब उसकी लड़की केवल 4 महीने की थी। इस प्रकार एक बच्चे की पूरी जिम्मेदारी मां ललिता के ऊपर आ गई थी।

उस समय सती प्रथा का अंत हो चुका था किंतु समाज में एक विधवा को देंय की दृष्टि से ही देखा जाता था और उसे कोई मान सम्मान नहीं मिलता था। उनका खाना पीना रहन-सहन और सभी चीजें बहुत ही अलग तरीके की ओर हल्के तरीके की निर्धारित की जाती थी। जिसका पालन करना एक विधवा को अनिवार्य होता था।

Lalitha Rao

Lalitha Rao : पति की अकस्मात मृत्यु

ललिता के पति की अकस्मात मृत्यु हुई उस समय ललिता की बेटी श्यामला केवल 4 महीने की थी और अपनी बेटी की पूरी जिम्मेदारी अब उसकी मां के ऊपर आ गई थी। ऐसे में ललिता ने निर्णय लिया कि वह आगे पढ़ाई करेगी और इंजीनियरिंग करेगी। इन सभी चीजों के लिए ललिता को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा।

अपनी 4 महीने की छोटी सी बच्ची को रिश्तेदारों के पास छोड़कर ललिता (Lalitha Rao) काम करने जाया करती थी और अपनी पढ़ाई को जारी रखी थी। इस प्रकार समय के साथ उन्होंने जीवन में बहुत ही अधिक संघर्ष किया और संघर्ष करने के बाद अपने लक्ष्य को प्राप्त किया और भारत की पहली महिला इंजीनियर बन गई।

ललिता की बेटी श्यामला का निवास चेनुलु अमेरिका में है और उस समय वह अपने मां की कठिन चुनौती और संघर्ष को याद करते हुए बताती है कि मेरी मां ने बहुत ही तकलीफ और परेशानियों का सामना किया है और आगे का सफर तय किया था। उन्होंने यह भी बताया कि मेरे पिताजी की जब अचानक से मृत्यु हो गई। तब मेरी दादी का व्यवहार मां के प्रति बदल गया और इन सारी घटनाओं को मां के सिर पर थोपा गया था। मेरी मां को सास के द्वारा प्रताड़ित भी किया जाता था। इसके बावजूद भी वह अपने सभी कामों को निष्ठा पूर्वक करती रही।

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