मील का पत्थर Inspirational Story in Hindi

यह कहानी हैं मंगू की , जो अपने आर्थिक हालातों से छुटकारा पाने के लिए एक चाय की छोटी सी दुकान  खोलता हैं । 
चाय का खौका ( लकड़ी से बनी दुकान )  अपने गांव के हाइवे के पास तथा शहर से दस किलोमीटर पहले रखता हैं । 
जहाँ उसका खौका होता हैं वहां पर अन्य कोई दुकान नहीं होती हैं । पहाड़ी के नीचे से निकलते हाइवे पर आते-जाते वाहन जहाँ एक ओर मंगू के मन की उम्मीदें बढ़ाते हैं तो वही वाहन न रूकने पर मायूसी की छाप भी छोड़ते हैं । 
मंगू अपने मन को समझाता हैं कि कोई बात नहीं हैं आज पहला दिन हैं । अगले दिन ऐसा नहीं होगा मगर दूसरे दिन भी इसका उल्टा ही होता हैं ।
उसने फिर तीसरे दिन इसी आशा में दुकान खोली की आज तो कोई न कोई ग्राहक जरूर आयेगा । 
दो दिनों की तरह आज भी साफ- सफाई कर ही रहा था । कि तभी एक गाड़ी आकर उसके दुकान से दस कदम आगे जाकर रूकती हैं । मंगू के मन में एक उमंग फूट पड़ती हैं । वह जल्दी से लकड़़ी की बैंच से उठकर दुकान में जाकर चीनी के डब्बे को खोलने लगता हैं । केतली में थोड़ा पानी डाल लेता हैं । साथ ही वह गाड़ी के मालिक की ओर भी ध्यान देता जाता है । ताकि लगे की वह चाय बनाने में मशरूफ हैं । 
गाड़ी का मालिक खिड़की खोलकर बाहर निकला और आस-पास देखता हैं जैसे उसे किसी चाय या सिगरेंट की तलाश हो, पर थोड़ी देर में मंगू का कनफ्यूजन दूर हो गया जब वह टाँयलेट करने लगा…. । 
मंगू को लगा वह हाथ धोने आयेगा मगर वह टाँयलेट करते ही गाड़ी में बैठकर चला गया । 
मंगू को एक बार फिर से निराशा का सामना करना पड़ा । 
वह निरतंर इसी इतंजार में अपनी खाली केतली की तरफ देखता की कोई एक पहला ग्राहक आयेगा और उससे चाय के लिए बोलेगा ……..नाहक ग्राहक भटके बादल हो गये । 
मायूस मंगू पेंड़ की पत्तियों से छनकर आती धूप से अपने हाथो की परछाई से कलाकृतियाँ बनाने लग जाता तो कभी एक कौने से उठकर दूसरी तरफ बैठ जाता । तो कभी चीटो को पकड़ कर उन्हें जमीन से पेंड़ पर चढ़ाने लगता….।  
देखते ही देखते सांम हो गई । खौके के अदंर मंगू ने अपने पिता की तश्वीर लगा रखी थी । सांध्या समय होने से तश्वीर धुधली दिखाई दें रहीं थी । मंगू तश्वीर को एक टक होकर देखता रहा और देखता रहा……. जैसे आँखो में उभकर आ रहे क्रोध से कोस रहा हो अपने भाग्य को दुर्भाग्य को…..।
उस रात कुछ शराबी अपने नशे में धुत होकर उसकी दुकान के सामने बैठकर शराब पीने लगें । कुछ समयबाद जब उन्हें शराब का नशा चढ़ने लगा तो वें उठकर जाने लगें । उनमें में से एक वहाँ लगे पत्थर के पास जाकर टाँयलेट करने लगा । फिर कुछ देर बाद वो सभी मिलकर वहाँ पर लगे पत्थर के मील पर पेशाब करने लगे और उस पर लिखे दस किलोमीटर  में से एक का अंक मिटा दिया । अब वहाँ पर ‘जीरो’ लिखा दिखाई दे रहा था । 
इधर मंगू एक भी ग्राहक न आने से परेशान हो चुका था । मंगू ने अपनी दुकान को हटाने का मन बना लिया । इससे पहले वह दुकान को हटाने का काम शुरू करें । वह एक बार खुद के हाथो से चाय बना कर पीने का मन बनाता हैं । उसने चाय बनाना शुरू किया वैसे ही दुकान के सामने गाड़ी आकर खड़ी हो गई ।  
मंगू ने इस बार कोई उत्सुकता नहीं दिखाई क्योकि अब वह इन चीजों से थक चुका था । 
“कहते हैं ना जब सारे रास्ते बदं हो जाते हैं तो ईश्वर एक नया रास्ता खोल देता हैं ।”

मंगू अपने काम में लगा रहा कि तभी वह व्यक्ति मंगू के पास आकर बोला, ” यहाँ से शहर कितना दूर हैं ।”
मंगू ने जवाब दिया – यहाँ से दस किमी० दूर हैं ।”
अच्छा तो ठीक हैं एक चाय बनाके देना, ” गाड़ी वाले ने सिर खुजलाते हुए मंगू को कहाँ ।”
मंगू ने पहले आश्चर्य चकित होकर उसे देखा कि आखिर क्या यह व्यक्ति मुझ से सही में चाय माँग रहा हैं ?
मंगू ने अपने मन ही मन कहाँ कोई बात नहीं हैं, दुकान इनको चाय पिलाने के बाद हटा लेगें । 
मंगू यह सब सोच ही रहा था कि तभी एक और गाड़ी वाला आकर शहर की दूरी पूँछने लगा । जब उसे शहर की दूरी मालूम चली तो उसने भी एक चाय का आँर्डर दें दिया ।
मंगू ने कहाँ कोई बात नहीं जहाँ एक बनाके दें रहा हूँ वहीं दो चाय बनाके दे देते हैं । 
चाय बन ही रही थी कि तभी दो-तीन और गाड़ी वाले एक साथ आकर शहर की दूरी पूँछने लगें । जब उन्हें भी दूरी मालूम चली तो वो भी चाय पीने के लिए रूख गयें ।
यह सिलसिला निरतंर बढ़ता ही जा रहा था । मंगू भी समझ नहीं पा रहा था कि अचानक इतने ग्राहक कैसे आने लगें ? कल तक तो जहाँ एक ग्राहक भी नहीं आ रहा था और आज लाइन टूटने का नाम नहीं ले रहीं हैं । 
शाम होते-होते मंगू का सारा दुकान का सामान बिक चुका था । 
आज मंगू बहुत खुश था जैसे उसकी लाँटरी लग गई हो । मगर अब उसके मन में यह जानने की बैचेनी थी कि आखिर जब वहाँ पत्थर का मील लगा हुआ हैं तो लोग मुझसे क्यों पूंछने आ रहे हैं ? 
वह निश्चित करने के लिए मील के पास पहुँचा तो देखा एक का अंक मिटा हुआ हैं और वहाँ केवल शून्य बना हुआ हैं । 
अब मंगू को सारी बात समझ में आ गई । मंगू ने दुकान हटाने का ख्याल दिमाक से निकाल दिया । 
अगले दिन मील के पत्थर पर सफेद चुना लगा दिया । और शून्य को काले रंग से रंग दिया । हालाकि यह गलत काम था परन्तु कोई चोरी नहीं थी । 
सभी ग्राहक पूँछने के बाद नहीं भी रूखते थे फिर भी मंगू इस बात से बहुत खुश था कि लोग उसके पास कुछ न कुछ पूँछने के बाद ले के ही जाते हैं । चाहे फिर उन्हें सहीं जानकारी ही क्यों न हों ?
दोस्तों, मील के पत्थर से केवल एक अंक हटाने मात्र से सभी यात्रीयों का रूख मंगू की दुकान की तरफ होने लगा । मंगू के जीवन में यह इत्फाक से ही हुआ था मगर अब वह उसके लिए बृह्मास्त्र था । 
कुछ समय बाद मंगू ने खौके की जगह छोटा सा होठल खोल लिया ।
जब मंगू की तरह हमारे जीवन में भी कुछ ऐसा ही हो रहा होता हैं तो हम उन गलत चीजों को ढूढ़कर अलग करने की वजह हम दूसरे रास्तों को पकड़ने लगते हैं । ऐसा हम हर बार परिस्थितियाँ आने पर करते हैं । ऐसा करने पर ना तो आपकी परेशानियाँ कम होती हैं और ना आपके द्वारा चुने गये काम में कोई प्रगति होती हैं । इसलिए समस्याओं से भागीयें मत बल्कि उनका डटकर सामना कीजिए ।
                                                                धन्यवाद 🙂
दोस्तों, आपको हमारी पाँस्ट पसंद आई हो तो आप अपनी राय कमेटं बाँक्स के जरिये हम तक पहुँचा सकते हैं और हाँ शेयर करना न भूले ।
अगर आपके पास भी कोई प्रेरणादायक लेख या स्टोरी हैं । तो आप हमें अपना नाम और फोटो के साथ हमारी मेल आई डी Merajazbaamail@gmail.com पर लिख भेजिएं ।पसंद आने पर हम उसे बेवसाइट पर पब्लिश करेगें 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *