New Year को कैसे बनायें Planning Year

नमस्कार दोस्तों, आपको MJC की तरफ से नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ💥💥💥 ….। आपको जानकर खुशी होगी Merajazbaa.com अपना पूरा एक साल Complete कर रहा हैं । आपका प्यार और स्नेह ही हमारे जज्बे को बढ़ाता हैं । ऐसे ही आप अपना सहयोग बनायें रखें ।🙏🙏 
“आप 2019 में प्रवेश कर चुके हैं ….तो क्या आप नये बदलावों के लिए तैयार हैं …? कैसे आप तैयारी करेगें नव बर्ष की …? कौन – कौन सी वह चीजें हैं जिन्हें आप अब तक नहीं करते आयें हैं ।”
चलिए थोड़ा एक साल पीछे चलते हैं और हम पुन: वही चीजें याद करते है जो आपने एक साल पहले एक जनवरी के दिन की थी . ….किसी ने पूरे दिन पढ़ाई की होगी ….तो किसी ने नई बाइक खरीदी होगी ….तो किसी ने नई दुकान खोली होगी …..तो किसी ने कोई प्लाँट खरीदा होगा ….इत्यादि इत्यादि । आप सब ने कुछ न कुछ अपने स्तर पर नया या अच्छा काम किया होगा और अधिकांश तय अलग काम कियें होगें मगर आपको सभी चीजों में एक चीज Common नज़र आयेंगी और वो हैं नये काम में उत्सुकता…परन्तु एक साल बाद अर्थात 31 दिसम्बर तक क्या आपने यहीं जोश और उत्साह में निरतंरता Constancy दिखाई ? 
अब आप स्वंय अपना आकलन कर सकते हैं कि आप जो हैं उसकी वजह क्या हैं ?
अगर आपने अपने काम में कामयाबी हासिल की हैं तो इसकी वजह आपके 365 दिनों की मेहनत का ही नतीजा हैं और यदि आप अपने काम में किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँचें हैं तो निश्चित ही आपने अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर कार्य नहीं किये हैं मगर फिर भी आप उसी कार्य में लगें हुए हैं तो आपके तरीको और कार्य के चुनाव के बीच में काफी Gape हैं ।
आपके कार्य वो होने चाहिए जो आपको बदले में लाभ रिटर्न करें …यहाँ लाभ से आशय Financial से नहीं बल्कि आपके ज्ञान को बढ़ाने से हैं ।
आपने अक्सर लोगों को कहते देखा-सुना होगा कि Time pass के लिए मैनें मूँगफली ले ली या फिर लूढ़ो खेल लिया या फिर मूवी देख ली …। या फिर कोई मशहूर गाना सुन लिया….. ।
कुछ दिन पहले सोनू निगम ( गायक ) ने मुम्बई में एक चौराहें पर बैठकर हारमोनियम पर गाना गा रहें थे । लोग आतें-जातें रहें मगर किसी ने उन पर ध्यान नही दिया क्योकि वहाँ कोई सोनू निगम को भिक्षुक के वेस-वुसा में accepct  नहीं कर सकता था  एक व्यक्ति ने तो उनके सुर पर दस रूपयें भी दियें ।
कहने का तात्पर्य यहीं हैं कि लोगों के पास टाइम पास करने के लिए तो टाइम हैं परन्तु किसी के टेलेटं की कद्र करने का Time नहीं हैं । और कद्र हैं भी तो उसमें हैसियत ढूढ़ी जाती हैं । 
तो अब मैं आपको बताने जा रहा हूँ CCC के बारे में जिन्हें Follow करने के बाद आप निश्चित आप अपने तक पहुँचेगें ।
ConsIstancy, commitment, continuity
ConsIstancy ( स्थिरता ) 
आप के लिए सबसे ज्यादा कठिन होता हैं अपने काम को पहचानना …। अधिकतर लोगों के साथ यही होता हैं कि वह समय रहते अपने काम को नहीं पहचान पाते । उन्हें लोगों की भीड़ का हिस्सा बनना ज्यादा पसंद होता हैं क्योकि उन्हें मालूम होता हैं कि यहाँ ज्यादा सम्भावनाएँ हैं । लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि उन सम्भावनाओं को पाने वालों की संख्या कितनी ज्यादा है ? और वह उनमें अपना कौन – सा स्थान रखते हैं । तब वह ईश्वर की शरण लेते हैं जो कि अन्य लोग पहले से ही वहाँ अपनी याचना पहुँचा चुके होते हैं । मैं यहाँ आपकी श्रद्धा पर प्रश्न नहीं खड़ा कर रहा हूँ बल्कि मैं उस हकीकत से रूबरू कराना चाहता हूँ जिसे आप Face करने में सक्षम हैं । बस आपको जरूरत हैं उसे पहचान के खुद को स्थिर होकर काम करने की । 
एक बार पं.’महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज’ प्रोफेसर के पास उनका ही एक छात्र उनसे मिलने आया ।वह बहुत निराश था ।
गोपीनाथ जी ने उसकी उदासी का कारण पूंछा तो उसने बताया  , ” कि वह काँलेज में अन्य बच्चों की अपेक्षा ज्यादा उपस्थिति दर्ज कराता हैं परन्तु फिर भी मैं अच्छे अंक नहीं ला पाता ….? 
 पं0 गोपीनाथ जी ने उससे कहा, ‘‘बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए पहला उपाय है – स्थिरता । ध्यान रहे, हमारी चंचल वृत्तियां ही हमारे बौद्धिक विकास को रोकती हैं। इस अवरोध को हटाने के लिए आवश्यक है कि तुम धीरे-धीरे ही सही, क्रमिक रूप से निरंतर तीन घंटे बैठकर पढ़ने का अभ्यास करो । शरीर के स्थिर होने पर मन भी स्थिर होता है । साथ ही बुद्धि भी विकसित होती है । इस क्रम में दूसरा बिंदु है – एकाग्रता । इसके लिए जरूरी है कि अपने अध्ययन विषय पर एकाग्र बनो। न समझ में आने के बावजूद उसे पूरी एकाग्रता से समझने की कोशिश करो। निरंतर एकाग्रता का अभ्यास तुम्हारी समझ को अपने आप ही विकसित कर देगा। इन दो प्रधान तत्वों के अलावा इनके सहायक तत्व भी हैं। इन सहायक तत्वों में प्रथम हैं – जिज्ञासा। अर्थात जानने समझने की जागरूकता। (2) बुद्धिमानों की संगति – हमें विद्वानों एवं विचारशील बुद्धिमान जनों से मेल-जोल बढ़ाना चाहिए। (3) स्वयं को प्रोत्साहन – निराशा जनक विचारों की अपेक्षा स्वयं को प्रोत्साहित करना होगा। (4) क्रियात्मक उपयोगिता जाने – जिन विषयों को हम सीखना चाहते हैं, उनकी क्रियात्मक उपयोगिता जाने। क्रियात्मक उपयोगिता के बोध से चीजें जल्दी समझ में आती हैं। (5) ज्ञान संचय – विभिन्न माध्यमों से जानकारी का संचय करने से भी बौद्धिक विकास होता है। (6) गहरी दृष्टि – अपनी दृष्टि को गहरा करने से इस सत्य का एहसास होगा, समूची प्रकृति एवं सारा परिवेश हमें सदा ही कुछ न कुछ सिखा रहा है।
Ex – जब गुरू द्रोणाचार्य ने  अपने शिष्यों से चिड़ियाँ की आँख मे निशाना लगाने के लिए कहाँ तो किसी को चिड़ियाँ के पंख दिखाई दे रहें थे तो किसी को पेड़ के पत्ते दिखाई दे रहे थे । मगर अर्जुन को चिड़ियाँ कीआॅख दिखाई दे रही थी । यह उनकी धनु विधा के प्रति एकाग्रता थी । 
Commitment ( प्रतिबद्धता ) 
आपकी कार्य के प्रति प्रतिबद्धता ही आपकी खुशियाँ और स्थिरता तय करती है । यह वह कार्य हैं जो आपने अपने लिए सुनिश्चित किया हैं । रोज आपके कार्य में बाधाएँ आयेगी मगर उन बाधाओं से  निकलने के रास्ते भी आपके पास होने चाहिए । आप बहाना बनाकर अपने कार्य को बाधित नहीं करेगें । 
श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं : “प्रतिबद्धता आवश्यक है | प्रतिबद्धता के बिना जीवन में कोई स्थिरता, कोई खुशी और कोई प्रगति नहीं होती है| यदि आप प्रतिबद्ध हैं तो आपके जीवन में स्थिरता, खुशी और प्रगति आ जाएगी ।”
Continuity( निरतंरता )
जब आप स्थिरता और प्रतिबद्धता पर जीत हासिल कर लेते हैं तब आपको जरूरत पड़ती हैं निरतंरता की..क्योकि अब आपकों वह काम मिल चुका हैं जिसे आप कायनात में खोज रहें थे और जिसे अब आवश्यकता है हर रोज दोहरायें जानें की ….| अभ्यास में निरतंरता आपके काम में और ज्यादा निखार लायेगी और यह अभ्यास रूचिपूर्ण ढ़ग से हो तो काम में बोरियत भी महसूस नहीं होगी । इसके लिए आपको अपने कार्यों में समय-समय पर बदलाव भी करने होगें और यह सब आपके अभ्यास से ही सम्भव होगा । 
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