राजस्थान के इस अनूठे मेले में 4000000 रुपए तक के गहने पहन कर आती है महिलाएं

आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान प्रदेश के जोधपुर जिले के बारे में यहां पर एक अनूठा मेला लगता है। जहां पर महिलाएं भारी-भरकम गहने पहनकर पहुंचती हैं। एक और जहां पर शहरों में महिलाएं अमूमन चैन स्नैचर्स के डर से गले में पतली सी चैन या कानों में छोटे से टॉप्स पहले से भी घबराती है वहां पर एक मेले में लोग भारी भरकम गहने पहन कर आते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यहां पर कई महिलाएं 1 से 2 किलो वजन से भी अधिक गहने पहनकर पहुंचती हैं। यह अनूठा मेला जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इसे शहीदी मेले में आसपास के विश्नोई बहुल इलाकों के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला और पुरुष आते हैं।

राजस्थान

राजस्थान के पारंपरिक और लुप्त हुए गहने

इस मेले में आने वाली महिलाओं के गहने सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होते हैं। महिलाएं इतने भारी भरकम गहने पहन कर आती है कि उनकी कीमत सुनकर एक बार तो होश उड़ जाएं। खेजड़ली गांव में आयोजित किए जाने वाला यह मेला राजस्थानी पारंपरिक परिधान में आयोजित होता है। यहां पर महिलाएं भारी-भरकम स्वर्ण आभूषण पहनकर पहुंचती है। वर्तमान में राजस्थान के पारंपरिक और लुप्त हुए गहनों को इन मेले में देखा जा सकता है।

सबसे आकर्षण का केंद्र आड आभूषण होता है एक आभूषण को गले में पहना जाता है जो काफी वजनदार होता है। यह आभूषण परिवार की संपन्नता और समृद्धि निशानी भी मानी जाती है। इस मेले में महिला के श्रृंगार के सभी गहने देखने को मिलते हैं।

यह मेला पेड़ों को बचाने की खातिर अपना बलिदान देने वाले 363 शहीदों की याद में आयोजित किया जाता है। इस मेले में हवन कुंड में आहुतियां देकर शहीदों को नमन भी किया जाता है। इतिहास के मुताबिक 1787 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा के आदेश के चलते खेजड़ली गांव में लकड़ियां काटने गए लोगों का विश्नोई समाज के लोगों ने विरोध किया था, लेकिन महाराजा के आदेश की पालना का हवाला देकर खेजड़ी काटने पर बिश्नोई समाज के लोग पेड़ों से लिपट गए और अपनी जान देकर भी पेड़ों को बचाया।

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