IAS Ramesh Gholap : कभी पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए भी नहीं थे पैसे और गरीबी के चलते मां के साथ बेची चूड़ियां लेकिन आज बने आईएएस ऑफिसर

IAS Ramesh Gholap : लगभग आजकल सभी लोग अपनी परिस्थितियों का रोना रोते ही रहते हैं क्योंकि कोई भी अपनी परिस्थिति से लड़ना नहीं चाहता है। इसके बावजूद भी कई लोग ऐसे होते हैं जो परिस्थिति से लड़कर जीवन में अपना नया आयाम स्थापित करते हैं। ऐसे लोग जीवन में आई मुश्किलें हालातों से मजबूर बनकर निकलते हैं। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाने जा रहे हैं जिसने विकलांगता के साथ गरीबी और पिता की असमय मौत को भी झेला, जरूरत पड़ने पर मां के साथ चूड़ियां बेची पर मुश्किलों से हार नहीं मानी।

इस शख्स का नाम है आईएएस रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap)। अगर आप सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा एक्टिव रहते है तो आपने यह नाम जरूर सुना होगा। यह इस वक्त झारखंड के गढ़वा जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं। यह सामाजिक कार्यों के चलते सोशल मीडिया पर अक्सर ही चर्चा में बने रहते हैं। इसी के साथ उनके निजी जीवन की संघर्ष की कहानी भी हमेशा ही सुर्खियों में बनी रहती है।

IAS Ramesh Gholap

IAS Ramesh Gholap : बचपन में ही बाएं पैर में पोलियो हो गया

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र के गांव में जन्मे रमेश घोलाप (IAS Ramesh Gholap) को बचपन में ही बाएं पैर में पोलियो हो गया, जिसकी वजह से आजीवन विकलांगता का दंश लगा और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। इनके पिता साइकिल पंचर की दुकान करते थे परंतु शराब पीने की लत की वजह से समय से पहले उनकी मृत्यु हो गई और परिवार की सारी जिम्मेदारियां उनकी मां पर आ गई। चूड़ियां बेचने का काम कर रमेश को पढ़ाई करवाई रमेश और भाई भी अपनी मां का हाथ बटाते थे।

12वीं कक्षा में अच्छे मार्क्स से पास होकर घर की सभी जिम्मेदारियां संभालने की सोची और टीचर बनने के लिए डिप्लोमा कोर्स किया और गांव के विद्यालय में शिक्षक के तौर पर पढ़ाने लगे। इसके बाद बीए की डिग्री हासिल की और यूपीएससी की तैयारी करने की सोची। 6 महीने के लिए नौकरी छोड़ दी और तैयारी में लग गए 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी परंतु उसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह तैयारी करने के लिए पुणे चले गए वहां रहकर पार्ट टाइम दीवारों पर पेंट का काम किया और अपनी तैयारी जारी रखी। आखिरकार मेहनत रंग लाई और 2012 में यूपीएससी की परीक्षा में 287 वी रैंक हासिल की और विकलांग कोटा के तहत आईएएस ऑफिसर बन गए।

Also Read : IAS Arti Dogra : बहुत उड़ाया समाज के लोगों ने मजाक, लेकिन हार नहीं मानी साढ़े तीन फीट की आरती डोगरा ने, पहले ही प्रयास में पास की यूपीएससी की परीक्षा

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *