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कैसे करे डर का सामना ? How to Overcome Fear in Hindi
September 29, 2020
How to Overcome Fear in Hindi
एक दस साल की लड़की जो 4th class मे पढ़ती थी. आज स्कूल में English recitation का test है. इग्लिश, ऐसी भाषा जो उसके परिवार में कोई नहीं बोलता था. माँ-बाप आपस में बगांली मे बोलते थे और बच्चो से हिंदी में बात करते थे. लेकिन वो इग्लिश मीडियम स्कूल में थी और वो भी शहर के Top school में से एक था इसलिए सभी उस लड़की से Expect करते थे कि वो फर्राटेदार अंग्रजी बोले. इन सभी Expectation की वजह से वो बहुत डरती थी. उसको लगता था इंग्लिश में वह कभी बात नहीं कर पायेगी. न वह कभी लिख पायेगी, न कभी बोल पायेगी. जैसे कोई एलिअन भाषा हो. Recitation test शुरू हो चुका था. उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था. वह बहुत Nervous और तनाव महसूस कर रहीं थी. उसने Poem अच्छे से याद की थी. लेकिन कहीं कुछ गलत न हो जायें. इसके लिए वह बहुत डरी हुई थी. अतंत: उसकी बारी आई. उसने धीरे-धीरे मंच की ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू किये, मंच बिल्कुल Class teacher की बगल में ही था. जैसे जैसे वह मंच की ओर बढ़ रही थी उसके डर का लेवल और ज्यादा बढ़ता जा रहा था. वह अंदर ही अंदर घबरा रही थी. उसका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था जैसे कि निकल कर बाहर आ जायेगा. वह अपने दिल की धड़कन की आवाज साफ सुन पा रही थी. उसके माथे से तथा हाथों से पसीने छूट रहे थे. आखिरकार उसने अपनी Poem बोलना शुरू की. लेकिन वह बार-बार Blank हो रही थी. वह शब्द भूल रही थी. वह हकला रही थी. कुछ समय तक Teacher ने बर्दाश्त किया. लेकिन कुछ देर बाद Teacher को गुस्सा आने लगा और सभी Student के सामने डाटना शुरू कर दिया.
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“कैसा दिमाक है तुम्हारा, इतनी छोटी सी Poem भी याद नहीं कर सकती. English का एक भी शब्द ठीक से नहीं बोला. तुम कभी भी एक भी शब्द न तो ठीक से बोल सकती हो और न ठीक से लिख सकती हो और हाँ ! पब्लिक Speaking के बारे में तो कभी सोचना भी मत. यह तुमसे कभी नहीं हो सकता.”,टीचर ने छल्लाते हुए उस लड़की से कहा.
उस छोटी सी लड़की के आँखों में आँसू आ गये. वह हारे हुए Failure की तरह खुद को महसूस कर रही थी. यह इतना काफी नहीं था कि उस Teacher ने उसी Class की दूसरी लड़की से सबके सामने उस लड़की के गाल पर थप्पड़ मारने को बोल दिया. जैसे ही गाल पर थप्पड़ पड़ा, वैसे ही उस लड़की की आँखो से आँसू फूट पड़े. वह रोने लगी. पूरी Class उस लड़की की तरफ आँखे गढ़ाये देख रही थी.
वह लड़की खुद को कमजोर और असाह महसूस कर रही थी. उसका आत्म विश्वास पूरी तरह से हिल गया था.
उसे अब विश्वास हो चला था कि वह न कभी अच्छी इग्लिश बोल सकती है और न लिख सकती हैं. इस घटना का उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा. उसे ऐसा लगने लगा कि यदि वह कुछ बोलेगी तो लोग उसे Reject कर देगें. यदि वह कुछ बोलेगी तो फेल हो जायेगी. ऐसा उसके दिमाक में बैठ गया और वह शांत, सहमी, शर्मीली बनकर रहने लगी. वह हर रोज खुद को Inferior महसूस करती थी. वह कही भी उठने, बैठने, बोलने, चालने सब में सकुचाने लगी. उसे लगता था कि यदि उसने थोड़ा कुछ बोल दिया तो लोग मजाक उड़ायेगें और इसी डर की वजह से वो Risk लेने से घबराने लगी.
“उसे डर से डर के जीने की आदत हो गई थी.”
“यह डर कहीं बाहर की दुनियाँ से नहीं आया, बल्कि हम लोगो ने खुद इजात करके दिया.”
जैसे-तैसे करके Engineering Complete की. उसके बाद उसकी शादी हो गई. अच्छी जाँब भी मिल गई लेकिन वो खुश नही थी. उसने यह बात अपने Husband से share की. पति ने उसका पूरा साथ दिया. लोगों ने उस लड़की को बहुत तायने मारे, पागल बोला. लेकिन अब उसने ठान लिया था कि उसे अब अपने मन का करना है. उसे डर के आगे जाना है जहाँ उसकी मंजिल है.
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा,”यह तेरे से नही हो पायेगा. तू कोई बिल गेट्स थोडे ही है.” उसके बाद भी लोग मार्क जुकरबर्ग बनते हैं. स्टीव जाँब्स बनते हैं.
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आपके साथ ऐसा कितनी बार हुआ है कि आपको कोई Oportunity मिली और आपने डर के कारण उसे जाने दिया ?
आपने कितने फैसले अपने डर के हिसाब से लिये ?
यदि कोई हमारे सपनो को चूरा रहा है तो वह हमारे अंदर बैठा डर है. जो हमे कुछ करने नहीं देता. हमारा डर ही हमे कभी तरक्की के ताले को खोलने नहीं देता.
डर हमें तीन तरह से प्रभावित करता है :-
1- Define – ( परिभाषित )
यह आपको परिभाषित करने लगता है. डर आपकी Identity को बताने लगता हैं. जबकि आप ऐसे बिल्कुल नहीं होते, जैसा डर आपको बता रहा होता है. आपने “डर के आगेे जीत है” Hook line तो जरूर सुनी होगी. जब आप इस लाइन को पार कर जाते है तब आप जरूर इतिहास रच रहे होते हैं.
डर की एक बड़ी वजह ये भी होती है कि हम कुछ करने की वजह दूसरे से खुद की तुलना करने लगते हैं. हम दूसरो की तरक्की को कौशने लगते हैं. दूसरे का घर कितना अच्छा है मेरा ऐसा क्यो नहीं ? दूसरे के पास गाड़ी है मेरे पास क्यो नहीं ? ये सारी बाते हमारे डर के कारण हमारे अंदर चल रही होती है क्योकि उस समय हम और कुछ कर भी नहीं रहे होते.
हम यह मानने को राज़ी नहीं होते कि जिसे हम कौश रहे हैं उसने जरूर कुछ न कुछ किया होगा या कर रहा होगा. क्योकि हमारे पास सबसे सरल व सस्ता उपाय कौशना होता है.
यह कब होता है जब आप खुद को कम मानने लगते हैं.
When you think You are lesser, When you think you are Inferior.
इस Comparison की जड़ हमारे डर में है. इसे हमें डटकर खत्म करना होगा.
जब हम एक बार यह देख लेते है या सुन लेते है कि कोई दूसरा व्यक्ति उस काम में Fall हो गया तो हम भी Fall हो जायेगें या फिर वह व्यक्ति सफल हो गया तो हम भी इसी प्रकार से सफल हो जायेगें. इस प्रकार का डर हमे कभी आगे नहीं बढ़ने देता. इस प्रकार के डर से जब भी आप अपने कदम बढ़ाते है तब आप बार-बार Fall होते रहते हैं.
आपने Business में हाथ आजमाया थोडे दिन नही चला, आपने मान लिया Business is not for me और आप फिर से Job join कर लेते हैं.
आपके दिमाक में न जाने कितने Idea आते जाते रहे और आपके साल बर्बाद होते रहें. आपके डर ने आपको कभी आगे बढ़ने का अवसर नहीं लेने दिया.
“अवसर कभी आते नहीं, बनाने पड़ते हैं.”
मगर आप वही करते है जो पूरी दुनियाँ कर रही है. आप भी उसी रास्ते पर चलना पसंद करते है जिस रास्ते पर भीड़ चल रही होती है. कभी कोई Risk नहीं लेना. और कभी कोई Risk न लेना भी बहुत बड़ा Risk है.
यदि आपको भीड़ का हिस्सा बनना है तो आप उस भीड़ का हिस्सा बनिये जो सफल लोगो की हो ताकि आप भी उसी भीड़ में खड़े होकर ढक्का खा-खा कर आगे बढ़ जायेगें.
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दोस्तों, मैं जिस लड़की की बात कर रहा हूँ. उनका नाम Rinku sawhney हैं. आज ये Successful entrepreneur, Motivational speaker, Personal excellence coach and author हैं. इनके बारे में मुझे ‘जोश Talks’ से मालूम चला तो मुझे लगा कि इनके बारे में पाँस्ट लिखनी चाहिए. क्योकि न जाने ऐसी कितनी Rinku sawhney होगी. जो हर रोज ऐसी परेशानियों से गुजर रहीं होगीं.
मैं उम्मीद करता हूँ आपको यह पाँस्ट जरूर पसंद आई होगी. यदि आपके आस-पास ऐसी कोई कहानी हुई है या आप कोई कहानी बताना चाहते हैं. तो आप हमारी मेल आई डी Merajazbaamail@gmail.com पर भेज सकते हैं. हमे आपकी कहानी सुनकर अच्छा लगेगा.