लोगों को प्रभावित करने के आसान तरीके | How to Impress People in Hindi

अमेरिका में हुए रिसर्च के अनुसार , इसांनों की सफलता के लिए 15 % ही उसके तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है बाकि 85% उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता हैं | यानि उसका व्यक्तित्व और लोगों को नेत्रत्व करनें की कला ही उसे सफलता दिलाती हैं | हम में से हर कोई प्रभावशाली बनना चाहता हैं | हम चाहतें हैं  कि लोग हम से प्रभावित हो तथा हमारी बात मानें |
आप भी चाहतें हैं कि आप भी शक्तिशाली बनें और सभी को प्रभावित कर सकें तो यह post पूरी पढ़े |





1 – किसी की बुराई, निदां, शिकायत से बचें :-
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किसी की आलोचना करनें सें कोई फासदा नहीं होता | क्योकि इससें सामनें वाला व्यक्ति बचाव करनें लगता हैं | बहानें बनानें लगता हैं | झूठी तारीफ करकें निकलना चाहता हैं | आलोचना खतरनाक हैं | इससें उसका बहुमूल्य आत्मसम्मान आहत होता हैं | तथा उसकें आत्मसम्मान को ठेंस पहुंचतीं हैं | और वो आपके प्रति दुर्भावना रखनें लगता हैं |


विश्व प्रसिद्ध बैज्ञानिक ‘ वी. एफ. एकीनर ‘ ने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया हैं कि जिस जानवर को अच्छे व्यवहार के लिए पुरूस्कार दिया जाता हैं | वो उस जानवर से ज्यादा तेजी से सीखता हैं जिसे खराब व्यवहार के लिए दण्ड दिया जाता हैं |
बाद में हुए अध्यनों से यह पता चला कि यह इंसानों के बारे में भी सही हैं | आलोचना से कोई सुधरता नहीं हैं | बल्कि संबंध जरूर खराब हो जातें हैं |


एक और महान मनोबैज्ञानिक ‘ हैन्स ले ‘ ने कहाँ ,”  जितनें हम सराहना के भुखे होते हैं उतनें ही निदां से डरतें हैं | आलोचना या निदां से कर्मचारीयों , परिवार के सदस्यों और दोस्तों का मनोबल कम हो जाता हैं | और उस स्थिति में कोई सुधार नहीं होता जिसकें लिए आलोचना की जाती हैं |
इतिहास में ऐसे आपकों हजारों उदाहरण मिल जाएँगें | जो बतातें हैं कि आलोचना से कोई लाभ नहीं होता | यें मानव स्वभाव हैं , हर इंसान अपनी गलती के लिए दुसरों को दोष देता हैं | परिस्थितियों को दोष देता हैं | परन्तु खुद को दोष नहीं देता | हम सब यही करतें हैं |
हमें यह अहसास होना चाहिए कि आलोचना Gravity की तरह होती हैं जो लौटकर हमारें ही पास आ जाती हैं |
हमें यह अहसास भी होना चाहिए कि हम जिस व्यक्ति की आलोचना कर रहें हैं या हम जिसे सुधारने की कोशिश कर रहें हैं | वो जवाब में खुद की सफाई देगा या कुछ तर्क देगा |
” मैनें जो किया उसके सिवाय मैं कर ही क्या सकता था | “
अगर आप चाहतें हैं कि लोग आपकों बिल्कुल भी पसंद ना करें और मौत के बाद भी आपसें नफरत करें तो आपकों कुछ नहीं करना हैं , आपकों सिर्फ शब्दों में चुभती हुई आलोचना करनी हैं | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी आलोचना कितनी सहीं या कितनी जायज हैं |
         लोगों के साथ व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तार्किक लोगों के साथ व्यवहार नहीं कर रहें हैं | हम भावनात्मक लोगों के साथ व्यवहार कर रहें हैं | जिनमें पूर्वाग्रह भी हैं खामियॉ भी हैं | गर्व और अहंकार भी हैं |


मशहूर डिप्लोमेट ‘ बेंजीन फ्रैंकलिन ‘ अपनी जवानी के दिनों में बहुत अभद्र व्यवहार करते थें | वो जब कूटनीतिक बन गयें | तब लोगों के साथ व्यवहार करनें में इतनें कुशल हो गयें कि उन्हें फ्रांस में राजदूत के रूप में भेजा गया |
जब ‘ बेंजीन फ्रैंकलिन ‘ की सफलता का राज पूँछा गया तो उन्होनें कहॉ , ” मैं किसी के बारे में बुरा नहीं बोलूगां ………और हर एक के बारें में अच्छा ही बोलूगां | “
याद रखें कोई भी मूर्ख बुराई कर सकता हैं निदां कर सकता हैं , शिकायत कर सकता हैं | ज्यादातर मूर्ख यहीं करतें हैं | परन्तु समझनें और मुआफ करने के लिए आपकों समझदार और सयंमी होना पड़ता है |


2 – सच्ची तारीफ करनें की आदत डालें :-
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अमेरिका के राष्ट्रपति ‘ लिकंन ‘ ने एक बार पत्र की शुरूआत में लिखा था |
” हर एक को तारीफ अच्छी लगती हैं |”
‘विलियम जैम्स’ ने कहां था , ” हर मनुष्य के दिल की गहराई में यह लालंसा छुपी होती है कि उसे सराह जाएँ | “
ये एक ऐसी मानवीय भूख हैं जो स्थाई हैं | वो दुर्लभ व्यक्ति जो लोगों के प्रशंसा की भूख की पूर्ति करता हैं | वो लोगों को अपनें वश में कर सकता हैं | जो सच्ची तरीफ करता हैं उसकी  लोग इतनी तारीफ करेगें कि आप सोच भी नहीं सकतें |
इसको समझने के लिए लेखक ‘ डेल कारनेगी ‘ एक उदाहरण देते हैं ‘ चार्ल श्राफ ‘ अमेरिकी उधोगपतियों में से पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें एक साल में 10 लाख डॉलर से ज्यादा  salary मिला करती थी | ये उस समय की बात हैं जब अमेरिका में 50 डॉलर प्रति सप्ताह कमाने वाले व्यक्ति सम्पन्न समझें जातें थें |
‘ चार्ल श्राफ ‘ को ‘एन्ड्रयू कारनेगी ‘ ने 1921 में यूनाईटेड स्टील कम्पनी के प्रेसीडेड के रूप में न्यूक्त किया | और उस समय ‘ चार्ल श्राफ ‘ की उम्र केवल 38 बर्ष थी | उनके नीचे कार्य कर रहें लोग कई बार स्टील बनाने के बारे में उनसें ज्यादा जानते थे | उन्हें इतनी ज्यादा तनख्वा मिलने का सबसें बड़ा कारण यह था कि वो लोगों के साथ व्यवहार करनें की कला में निपुण थें |
जब उनसें पूछां गया , ” कि उन्होनें किस तरह किया | “
तो उन्होने कहां , ” मैं मानता हूँ कि मेरी सबसें बड़ी पूँजी अपनें कर्मचारियों को उत्साह बढ़ाने की कला हैं और सराहना और प्रोत्साहन के द्वारा लोगों से सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करवा लेता हूँ | “
यहॉ यह ध्यान देनें वाली बात हैं कि कोई भी बात किसी भी व्यक्ति की महत्वकाक्षाओं को इतनी बुरी तरह से नहीं कुचलती जितनी की superior की आलोचना |
हमें कभी किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए | बल्कि प्रोत्साहन देनें में विश्वास करना चाहिए | ताकि व्यक्ति काम करने के लिए प्रेरित हों | इसलिए हमें लोगों की सच्ची तारीफ करनें के लिए तत्पर रहना चाहिए | और गलती निकालनें में कजूंसी बर्तनी चाहिए |
यह बात अच्छी तरह से  समझ ले कि दिल खोलकर मुक्त कठं से तारीफ करना आपको बहुत प्रभावशाली बना सकता हैं | लेकिन हम में से अधिकतर लोग क्या करतें हैं ? अगर उन्हें कोई बात समझ में नही आती हैं तो वह अपने कर्मचारीयों पर भड़ास निकालतें हैं | और यदि उन्हें कोई बात पसदं आती है तो वो कुछ नहीं कहतें हैं |
एक पुरानी कहावत हैं , ” मैनें एक बार गलत काम किया जिसके बारें में मुझें हमेंशा सुनना पड़ा , मैनें दो बार अच्छा काम किया लेकिन उसके बारें में मैनें कभी नहीं सुना |”
      कुछ समय पहलें अमेरिका के घरों में से भागनें वाली पत्नीयों पर एक रिसर्च किया गया | उनके घर से भागनें के पीछे का सबसें बड़ा कारण क्या हैं ? और रिसर्च में जो बात निकल कर आई वो थी तारीफ की कमी | हम अक्सर पति / पत्नी को यह बतानें की जरूरत ही नहीं समझतें कि हम उनसें प्रभावित हैं |
हम अपनें दोस्तों को भी नहीं बतातें कि हम उनसें क्यों प्रभावित हैं ?
हमें यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि सच्ची तारीफ का मतलब चापलूसी नहीं होती हैं | चापलूसी या मक्खन पॉलिस के बारे में आपकों पता ही होगा कि समझदार लोगों पर इसका कोई असर नहीं होता हैं | यह बात सहीं हैं कि चापलूसी सफल लोगों के सामनें सफल नहीं होती | चापलूसी स्वार्थी और झूठी होती हैं | इसे असफल होना ही चाहिए |
वैसें कुछ लोग तो तारीफ के इतनें भूखे होतें हैं कि वो चापलूसी को भी अपनी तारीफ समझ लेतें हैं |
        इग्लैण्ड़ की महारानी ‘ विक्टोरियॉ ‘ को चापलूसी इतनी पसंद थी कि प्रधानमंत्री ‘ ‘बेजींमन ‘ ने यह स्वीकार किया था कि वो महारानी की चापलूसी किया करतें थें | उनकें शब्दों में बड़ी चम्मच से मक्खन लगातें थें | लेकिन जो चीज उनके लिए काम कर गई | यह जरूरी नहीं कि आपकें लिए भी करेगीं |
लम्बे समय में फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा | चापलूसी नकली सिक्का हैं अगर आप उसें असलीं सिक्के की तरह बाज़ार में चलाने की कोशिश करेगें तो आप परेशानी में पड़ सकतें हैं |
प्रशंसा और चापलूसी में क्या फर्क हैं ? इसका जवाब बहुत आसान हैं | एक सच्ची होती हैं और दुसरी झूठी | एक दिल से निकलती हैं दुसरी दाँतों से | एक निस्वार्थी होती हैं दुसरी स्वार्थपूर्ण | एक की हर जगह सराहना होती हैं और दुसरी की निदां होती हैं |
अगली बार जब आप किसी hotel में जब आप खाना खायें तो रसोईयें तक यह सदेंश जरूर भेजें कि खाना अच्छा बना था |
यह अच्छी तरह समझ लें कि लोगों को ठेंस पहुँचाने से वो कभी भी नहीं बदलतें और ना ही इससें कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं |
       
दार्शनिक ‘ इमरसन ‘ ने कहां था , ” हर व्यक्ति मुझसें किसी न किसी बात से बेहतर होता हैं , मैं उसकी वह बात सीख लेता हूँ |”
अगर यह  ‘ इमरसन ‘ के बारे में सही हैं तो हमारे और आपके बारे में तो हजार गुना ज्यादा सही हैं | हम अपनी उपलब्धियों पर अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना छोड़ दें तो हम चापलूसी को भूल जाएँगे |
ईमानदारी से सच्ची प्रशंसा करें |  दिल खोलकर तारीफ  करे | अगर आप ऐसा कर करेगें तो लोग आपके शब्दों को अपनी यादों की तिज़ोरी में सजोंह के रखेगें |
और ज़िदंगी भर उन्हे दोहराते रहेगें | आपने जो कहॉ हैं वो आप भूल जाएँगें पर वो कभी नहीं भूलेगें |


3 – सामने वाले व्यक्ति में प्रबल इच्छा जगाएं :-
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हम क्या चाहतें हैं ? इस बारें में बात करने से क्या फायदा ? ये तो बचपना हैं मूर्खता हैं | जाहिर हैं कि आप जो चाहतें हैं उसमें आपकी रूचि हैं | लेकिन दुसरे की उसमे रूचि हो ऐसा कोई जरूरी नहीं हैं | हम सब आप ही की तरह हैं हम सब अपने आप मे रूचि लेते हैं | इसलिए दुनियॉ में लोगों को प्रभावित करने का तरिका है कि आप सामने वाले की इच्छाओं  के बारे में बात करें और बतायें कि वो अपनी इच्छाओं को किस तरह पूरा कर सकता हैं |
जब आप किसी से अपना काम करवाना चाहें तो इस बात का ध्यान रखें |
उदाहरण के तौर पर आप चाहतें हैं कि आपके बच्चे या आपका दोस्त सिगरेट पीता हैं तो आप उन्हें भाषण मत दीजिएं | ये मत बताइयें कि आप क्या चाहते हैं ? इसकी जगह यह समझाइयें कि वो सिगरेट पीयेगें तो वह कभी क्रिकेट टीम मैं कभी शामिल नहीं हो पाएँगें | या कभी अच्छे खिलाड़ी नहीं बन पायेगें |
        प्रसिद्ध पुस्तक ‘ Influence in human behavior ‘ में लिखा हैं ,” कर्म पैदा होता हैं हमारी मूलभूत इच्छा से और बिजनेस , घर , स्कूल और राजनीति में दुसरों को काम करने के लिए प्रेरित करने वाले लोगों का सबसे बढ़िया तरीका यहीं हैं कि सबसे पहले सामने वाले व्यक्ति में काम करने की प्रबल इच्छा जगायें | जो यह कर सकता हैं उसके साथ पूरी दुनियॉ हैं जो यह नहीं कर सकता वह अकेला ही रहेगा |”


इसको इस तरह समझ सकते हैं | कि ‘ एड्रयू कारनेगी ‘ के रिश्तेदार अपने दोनो बच्चों को लेकर बहुत परेशान थी | उनके बच्चे उनसे दूर रहते थे और वो इतने व्यस्त थे कि घर पर चिट्ठी लिखने की याद तक नहीं रहती थी यही नहीं वो चितिंत मॉ की चिट्ठीयों का जवाब भी नहीं देते थें | यह सुनकर ‘ कारनेगी ‘ ने 100 डॉलर की शर्त लगाई कि वो जवाब मगांकर दिखाएँगें |
मजेदार बात यह थी कि वो जवाब देने का आग्रह भी नहीं करेगें | जब शर्त लग गई तो ‘ कारनेगी ‘ ने अपने भतीजो को चिट्ठी लिखी और बाद में लिख दिया कि वो हर एक को पाँच डॉलर का नोट चिट्ठी के साथ भेज रहें हैं | जबकि नोट नहीं भेजें |
कुछ दिनों बाद सचमुच जवाब आया , जिसमें , ” प्यारे अकंल ‘कारनेगी’ को धन्यबाद दिया गया था |”
अगर आप किसी को किसी बात के लिए मनाना चाहतें हो तो रूक कर पहले खुद से पूंछो , ” मैं किसी में काम करने की प्रबल इच्छा कैसे पैदा कर सकता हूँ |”
‘ एन्ड्रयू फोर्ड ‘ ने लिखा हैं , ” अगर सफलता का कोई रहस्य हैं तो वह यह हैं कि हमें यह समझना होगा कि हम सामने वाले का नजरिया समझ सकें | और हम किसी घटना को अपने नजरिए के साथ – साथ सामने वाले के नजरिए से भी देख सकें | “
        अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप दुसरों की भावनाओं का शोषण न करें | यह बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए कि आप अपने फायदें के लिए दुसरें का नुकसान कर दें |
दुनियॉ में ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो स्वार्थी हैं और खुद का भला करना चाहते हैं | इस वजह से उस दुर्लभ व्यक्ति को बहुत लाभ होता हैं जो निस्वार्थ भाव से दुसरो की मदद करना चाहता हैं | उसके बहुत कम प्रतियोगी होते हैं |


अमेरिका के प्रसिद्ध वकील ‘ ओवेरियन ‘ ने कहां था , ” जो लोग खुद को दुसरों की जगह रख सकते  हैं जो दिमाक के काम करने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं | उन्हें इस बात की चितां करने की कभी जरूरत नहीं होनी चाहिए कि उनका भविष्य कैसा होगा | “


नोट :- यह पाँस्ट ‘ डेल कारनेगी ‘ की किताब How to win friends and influence people से प्रभावित हैं जो मुझे Effortless GK यूट्यूब चैनल प्राप्त हुई |


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