हनुमान चालीसा पाठ से हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव

Hanuman Chalisa

क्या Hanuman Chalisa के पाठ से आप पर उसका सकारत्मक प्रभाव पड़ा है ?

“Hanuman Chalisa” में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र… जो हम आपको बताने जा रहे हैं. आप पाँस्ट को अंत तक जरूर पढे़.

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है. पर क्या आप जानते हैं कि श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है.

माना जाता है तुलसीदास जी ने चालीसा की रचना हनुमान जी को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की.

अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रहा है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है.

“हनुमान चालीसा” सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई हैं.

हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं. आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….??

* जीवन में गुरु की महिमा

हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…

“श्रीगुरु चरन सरोज रज,

निज मनु मुकुरु सुधारि।”

अर्थ – अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।

गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है. जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता. गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं.

इसलिए तुलसीदास जी ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूँ. आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकते है, बॉस भी. माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है.

समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है. अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें.

* ड्रेसअप का रखें ख्याल…

चालीसा की चौपाई है

“कंचन बरन बिराज सुबेसा,

कानन कुंडल कुंचित केसा।”

अर्थ – आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।

आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं. First impretion अच्छा होना चाहिए.

अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है. इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें.

* सिर्फ डिग्री काम नहीं आती

“बिद्यावान गुनी अति चातुर,

राम काज करिबे को आतुर।”

 

अर्थ – आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं. राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं.

आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है. लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे. विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी. हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी.

* अच्छे Listener बनें.

“प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,

राम लखन सीता मन बसिया।”

अर्थ – आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं.

जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए.

अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है. अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते.

* व्यवहार ज्ञान जरूरी है–

“सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा,

बिकट रुप धरि लंक जरावा।”

अर्थ- आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया.

कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है.

सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया.

अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है.

* अच्छे सलाहकार बनें

“तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना,

लंकेस्वर भए सब जग जाना।”

अर्थ – विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है.

हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले. विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी.

विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे “श्री राम” द्वारा लंका के राजा बनाए गए. किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है. सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है.

* आत्मविश्वास की कमी ना होना

“प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही,

जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।”

अर्थ – राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है.

अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल Task को आसानी से पूरा कर सकते हो.

* अपने स्वामी की सेवा करना

“लाये सजीवन लखन जियाये,

श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।।”

अर्थ – आपने संजीवनी बूटी लाकर लखन के प्राण बचा लिये.

जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको ह्रदय से लगाया.

जब आप अपने मालिक, बाँस का काम उनकी अनुपस्थित में संभालते हैं या अपनी सेवा देते हैं तो आपको बदले में उसका फल मिलता है. हो सकता है कि आपके बाँस आपसे Impress हो जायें.

* आपका व्यक्तित्व ( Your Personality )

“सहस बदन तुमरो जस गावै,

अस कहि श्रपति कंठ लगावैं ।”

अर्थ – श्री राम ने आपको यह कहकर ह्रदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है.

आपकी Personality लोगो के हित का काम करती है तो वह आपकी पहचान बन जाती है. लोग आपके व्यक्तित्व को Follow करते हैं. लोग आपकी प्रंशसा करते हैं.

जय श्रीराम 🙏

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                                                             धन्यवाद !!

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