क्या आप जानते हैं नोटों पर यह क्यों लिखा होता है कि “मैं धारक को ₹100 अदा करने का वचन देता हूं”
जब भी हम बाजार से कुछ खरीदते हैं या कहीं पर से भी कुछ खरीदे हैं तो हमें पैसे देने पड़ते हैं। इसी तरह से नोटों का आदान-प्रदान होता है। हम सभी नोट की वैल्यू बहुत अच्छे से जानते हैं और उसके बदले दुकानदार या ग्राहक नोटों का विनिमय करते हैं। देश में मौजूद नोटों के मूल्यों का जिम्मेदार आरबीआई गवर्नर होता है। ₹1 के नोट को छोड़कर आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर का हस्ताक्षर हर नोट पर होता है, क्योंकि ₹1 के नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1935 से पहले मुद्रा की छपाई की जिम्मेदारी भारत सरकार के पास ही थी। इसके बाद 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई थी। आरबीआई का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और आरबीआई को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के आधार पर करेंसी मैनेजमेंट की भूमिका दी गई थी। सबसे जरूरी बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 22 रिजर्व बैंक को नोट जारी करने का अधिकार देती है।
भारत में नोटों की छपाई न्यूनतम आरक्षित प्रणाली के आधार पर
आपने हमेशा ही 10 का नोट, 20 का नोट, 100 का नोट, 500 का नोट, 2000 का नोट देखा होगा। उस नोट पर लिखा हुआ होता है कि मैं धारक को ₹100 अदा करने का वचन देता हूं। आपने अक्सर ही देखा होगा इसके साथ ही नोट पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर भी होते हैं। आखिरकार ऐसा क्यों लिखा होता है भारत में नोटों की छपाई न्यूनतम आरक्षित प्रणाली के आधार पर की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आरबीआई धारा को यह विश्वास दिलाने के लिए लिखती है कि यदि आपके पास ₹200 का नोट है तो इसका मतलब है कि रिजर्व बैंक के पास आपके ₹200 का सोना रिजर्व है। कुछ ऐसा ही अन्य नोटों पर भी लिखा हुआ होता है आप के नोटों के मूल्य के बराबर आरबीआई के पास सोना सुरक्षित है मतलब कि इस बात की गारंटी है कि 100 या ₹200 के नोट के लिए धारक को ₹100 या ₹200 की देयता है।
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