दौलत की दिशा में एक व्यवसायी के तीन कदम

दोस्तो, यह पॉस्ट मेरे उन भाईयों के लिए है जो कुछ नया व्यवसाय चालू करने की सोच रहे है या जिन्होने नया व्यवसाय चालू किया है | विशेषकर यह पॉस्ट नये व्यवसाईयो के लिए लेकर आया हूँ | शुरूआत नये व्यवसाय की बड़े जोश के साथ करते है मगर समय के साथ जोश की रफ्तार कम होती चली जाती है  इसके पीछे के कई कारण हो सकते है | मैं आपको एक कहानी के माध्यम से बताऊगां क्येकि हमारी भारतीय परम्परा है कि जो बात हमें फाँर्मूले से समझने मे नहीं आती है  , वही बात कहानी के माध्यम से आसानी से समझ में आ जाती है | तो चलिये शुरू करते हैं :-

सूरत के मेरे एक व्यवसायी मित्र ने अपने स्टोर में मुझसे कहा था , ” मेरा भाई भी मेरे ही व्यवसाय में है | उसकी दुकान मेरी दुकान से सिर्फ तीन ब्लॉक ही दूर है , लेकिन वह दौलत मे खेल रहा है | हाल ही मे उसने दो नये सेल्स क्लर्क भी रख लिये है | वहीं दुसरी ओर , मेरा तो गुजारा भी नही हो पा रहा हैं | इसका कारण सम्भवत: माहौल या सामान नही है , शायद मैं खुद ही हूँ |”
मैनें टिप्पणी की कि समृद्ध बनने और जीवन में आगे बढ़ने का किसी निश्चित या स्थान से कोई सबंधं नहीं होता | दौलत तो इंसान के मस्तिष्क में होती है | कुछ बेहद प्रभावशाली लोग गरीब और कुंठित बने रहते हैं , जबकि दुसरे लोग बहुत कम योग्यता या शिक्षा के बावजूद अपने सबसे ऊँचे सपनों से भी ज्यादा दौलतमदं बन जाते हैं |
मैने उसे दौलत हासिल करने के तीन अचूक क़दम बताए |
उसने इन तीन क़दमों का पालन किया, जिसके बाद उसने उल्लेखनीय प्रगति की |
पहला क़दम :-
कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में कोई नकारात्मक बात न कहें , जैसे , ” मैं अपना किराया नहीं चुका सकता ,” मैं अच्छा भाषण नही दे सकता , कारोबार की हालत बहुत खराब है , ” मैं अच्छा कवी नही बन सकाता ,” मैं इजींनियर नहीं बन सकता ,” आदि | जैसे ही कोई नकारात्मक विचार , ” मैं………नहीं नही कर सकता ” दिमाग मे आए , उसके बजाय सकारात्मक अदांज मे कहे : ” मैं अपने भीतर के असीमित भंडार के साथ एकरूप हूँ और मेरी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी होती हैं |” हो सकता है कि शुरूआत मे आपको एक घंटे मे पचास बार ऐसा करना पड़े , लेकिन लगन से जुटे रहें | कुछ समय बाद नकारात्मक विचार आपको सताना छोड़ देंगे |
 दुसरा क़दम :-
असीमित दौलत के प्रति अपने मन को तैयार करने के लिए यह कहनें की आदत डालें , ” संकट के समय में मदद करने के लिए ईश्वर हमेशा मौजूद होता है ,” और ” ईश्वर मेरे लिए त्वरित आपूर्ति का सतत स्रोत है  | जैसे – जैसे आप यह दोहरायेगें आपके मन सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो जाऐगी | साथ ही आपको अपने ग्राहक के ग्राहक का मन भी जानना होगा | अगर आप ऐसा कर देते हैं तो आपका ग्राहक ही आपके माल की स्वयं ही marketing करने लगेगा  और आपकी selling persantage बढ़ जाऐगी | अमूमन व्यवसाई अपने माल को खपाने के चक्कर में ग्राहक की सन्तुष्टी को नज़ंरअदांज कर देते है | ऐसे मैं आपके ग्राहक किसी भी person को मिलेगा तो तुरन्त advise देगा ,” मित्र तुम सामान लेने जा रहे हो परन्तु उस जगह तो भुल कर भी मत जाना नही तो पछताओगें |”
 आपका ग्राहक ही ग्राहक में नकारात्मकता का प्रचार करेगा | ग्राहक की कमी ही आपके लाभ को कम कर देगी इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें |
तीसरा क़दम :-
तीसरा जरूरी और अहम क़दम हैं निरन्तरता को बनाये रखना | इस बात का ध्यान हमेशा रखना हैं कि आपको अपनी position ना  कि बनाये रखनी है बल्कि आगे भी बढ़ना हैं | और यह सम्भव तभी होगा जब आप दुसरों की  मूलभूत व बुनियादी ज़रूरतों के बारे में सोचेगें | इसके बाद किसी भी दुसरे व्यक्ति से ज्यादा सस्ते और अच्छे तरीके से उस आवश्यकता को पूरा करेगें | इसके लिए आप value के बजाय आप volume पर focus कीजिए | आप देखेगें कि जैसे – जैसे आप लोगों का भरोसा जीतते जाऐगें , आपकी तरक्की होती जाऐगी |
ऐसा ही उस व्यवसाई मित्र ने किया | उसने हर रात सोते वक्त इस महान सत्य को लोरी की तरह देहराएँ : ” मैं ईश्वर की नियमतों के लिए हमेशा कृतज्ञ हूँ , जो हमेशा सक्रिय हैं , मौजूद हैं , अपरिवर्तनीय हैं और सर्वव्यापी हैं | “
इस व्यवसाई ने पूरी निष्ठा से इस आध्यात्मिक नुस्खे का पालन किया और इसके बाद दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा | हाल ही में उसने मुझसे कहा, ” मेरा मस्तिष्क एक बीहड़ रेगिस्तान था | अज्ञान , डर , आत्म – आलोचन और अयोग्यता के अहसास के खरपतवार के सिवा वहॉ कुछ नहीं उग रहा था | अब मैं विजय , उपलब्धि और समृद्धि की राह पर हूँ | “
नोट :- यह नियम मैंने जोसेफ मर्फी की हिन्दी अनुवादित किताब ‘ समृद्ध बनने की असीम शक्ति ‘ मे पढ़े थे | मुझे उम्मीद है आपको पसंद आये होगें |
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