पिता Heart Touching Poem in Hindi

पिता तेज धूप सा सूरज हैं |
कष्टों के ददंल में खिलता नीरज हैं ||
उसकी गरिमा में, सागर जैसी गहराई हैं |
आर्शीवाद में नीलगगन सी, ऊँचाई हैं |
वो साथ नहीं पर साथ सदा परछाई हैं ||
कड़वी बाते कॉटो सी चुभती, खराब लग जाता हैं |
पर उसकी राहों पर चलकर, ये जीवन गुलाब बन जाता हैं | 
तुम सिद्ध हों, तुम्हें समर्पित पूरे जीवन की सिद्धी हैं ||
इतिहास पढ़ो, इतिहास गढ़ो, पास तुम्हारे बल, बिधा, बुद्धी हैं | 
वो नाराज नहीं तुमसे, ये नादानी का नारा हैं | 
वह जीवन जीत गया, जो जुवान से हारा हैं ||
वो हिमालय जैसा प्रहरी हैं, वो सुबह,साम, दोपहरी हैं |
वो परशुराम की प्रतिज्ञा हैं, वो दशरथ ,राम की आज्ञा हैं ||
पिता धन्य हैं, पिता पुण्य हैं, पिता परम पिता परमेश्वर हैं |
पिता धर्म हैं, पिता कर्म हैं, पिता सर्वोपरि सर्वेश्वर हैं ||
पिता वेकुंट धाम की काया हैं, पिता नीलकंठ बन बिष पाया हैं |
पिता समस्याओं का समाधान हैं, पिता त्रिदेव और चारों धाम हैं ।
वह घर मिट जाते हैं, जहॉ विचार कोप भवन में लेटे हो |
जीवन वनवासी हो जाता हैं, जब कैकयी के वरदानों से हरते बेटे हों |

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