11 साल के भुवन ने कैसे की दिमाग से वृद्ध महिला की मदद ? Motivational Story in Hindi
February 21, 2019
शहर की भीड़-भाड़ वाले इलाके के पुराने मकान में एक वृद्ध महिला रहती थी । उसका एक लड़का था जो बाहर विदेश में नौकरी करने चला गया था और वह वहीं रहने लगा था ।कुछ महिनों तक तो वह पैसे भेजता रहा लेकिन पिछले चार महिनों से न तो उसनें एक भी पैसा भेजा और ना ही कोई फोन किया ।
उस बृद्ध महिला की तबियत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी ।
कुछ ही दिनों में खाने-पीने का सामान जुटाने में दिक्कत होने लगी ।
एक समय ऐसा आ गया कि उस वृद्ध महिला को रोड़ पर बैठकर भीख माँगने पर मजबूर होना पड़ा ।
वो रोज दो वक्त का खाना जुटाने के लिए सुबह सांम घण्टों सड़क पर बैठती । तब जाकर कुछ खाने के लिए पैसे जमा कर पाती ।
जिस जगह पर वह वृद्ध महिला भीख मांगती थी । उसी जगह से होकर हर रोज 11 साल का भुवन स्कूल
पढ़ने के लिए जाता था ।
उस वृद्ध महिला को धूप में बैठकर भीख माँगते देख उसका मन द्रवित हो उठता ।
रोज की तरह भुवन आज भी वही से होकर गुजर रहा था मगर आज उसे वह वृद्ध महिला कहीं दिखाई नहीं दें रहीं थी ।
उसकी निगाहें सड़क के दोनों तरफ ब्याकुल होकर खोज रहीं थी । मगर उसें वह वृद्ध महिला कही दिखाई नहीं दी ।
भुवन का मन पूरे दिन पढ़ाई में भी नहीं लगा । वह घर आते हीं उस वृद्ध महिला के कमरें पर पहुँचा । जो उसके घर से आधा किमी की दूरी पर ही था ।
वह वृद्ध महिला बुखार में तप रहीं थी । भुवन भागकर मौहल्ले के ही डाँक्टर को बुलाकर लाया । डाँक्टर ने बिना कोई लापरवाहीं के कुछ दवाईयाँ दे दी जिससे धीरे-धीरे तबियत में सुधार होने लगा । लेकिन भुवन मन ही मन बहुत बैचेन था ।वह कुछ और करने की सोच रहा था । उसने कागज कलम उठाया और एक आवेदन पत्र लिखने लगा, ” मेरी उम्र सत्तर बर्ष से ऊपर हैं कल यहीं-कहीं रास्ते में पचास का नोट गिर गया हैं । मेरा आप सभी से आग्रह हैं कि जिस किसी को पचास का नोट मिल जायें तो वह कृपया इस पतें पर भेज दें ।”
और उसने पता लिखकर भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाकर लगा दिया ।
उस पत्र पर जिस किसी की नजर पड़ती तो वह उसमें लिखी मासुमियत और आग्रह में छिपी सच्चाई महसूस करके खुद को उस पतें पर जाने से नहीं रोक पाता ।
अब जो भी व्यक्ति उस वृद्ध महिला से मिलता वह जाकर पचास का नोट, ‘ मुझे आपका पचास का नोट मिला हैं’ यह कहँकर पकड़ा देता और कोई-कोई तो और ज्यादा मदद कर देता । मगर वह वृद्ध महिला सभी से एक ही निवेदन करती कि उसका कभी कोई पचास का नोट नहीं गिरा हैं | जिस कागज पर यह लिखा हैं उसे वह फाड़ दें ।
सभी लोग उस महिला को आश्वासन तो दे देते मगर फाड़ने की हिम्मत किसी की भी नहीं होती थी।
सभी फाड़ने की भावना को मन में ग्लानि समझते थे । वह ऐसा करके किसी की मदद में खुद को बाँधक महसूस करने लगतें और लिखने वाले के लिए ढेरों बधाई देतें ।

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दोस्तों, आपकों ऐसे न जानें कितने लोग हर रोज पैसा मागतें मिल जातें होगें । जिन्हें हम भिखारी कहतें हैं । हम कुछ रूपयें देकर अपना फर्ज पूरा समझ लेते हैं । वह बहुत बड़ी चीज खोकर माँग रहें होते और वो बड़ी चीज हैं गरिमा ( Dignity ) . आप भुवन की तरह अपना क्या योगदान दें सकतें हैं ? भुवन ने अपने घर से एक भी पैसा माँगे उस वृद्ध महिला की मदद की ।
“बचपन में हम जादू को भी सच समझ लेतें थे । अब बडे़ होकर सच पर भी शक करने लगतें हैं । समझदार बनियें मगर एक सच्चे बचपन को भी अपने अदंर जीवित रखियें । “
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